चंडीगढ़ में कैट के आदेश की शिक्षा विभाग को नहीं परवाह, कंप्यूटर शिक्षकों की अटकी सैलरी

सेंट्रल एडमिनिस्टेटिव ट्रिब्यूनल बैच (कैट) शिक्षा विभाग को आदेश पर आदेश दे रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग पूरी तरह से बेपरवाह है। मामला चाहे टीचर्स की सैलरी से लेकर प्रमोशन तक किसी भी प्रकार का हो पर कैट के आदेश चंडीगढ़ शिक्षा विभाग के लिए कोई मायना नहीं रखते। इसके चलते उम्मीद से कैट का दरवाजा खटखटाने वाले भी निराश हो चुके है। शिक्षा विभाग में कार्यरत टीचर्स से लेकर कर्मचारियों तक सभी का यही कहना है कि विभाग अपने तरीके से चलेगा, कैट तो विभाग के लिए बना ही नहीं है। जिसके बाद सवाल खड़ा होता है संविधान और न्याय प्रणाली पर। यदि न्याय प्रणाली के आदेशों का पालन ही नहीं होना तो न्याय प्रणाली बनी क्यों है।

कैट के आगे एफिडेविड: रेगुलर भर्ती तक नहीं निकालेंगे कांट्रेक्ट कर्मचारी

वर्ष 2013 में विभाग की तरफ से कांट्रेक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों को काम से निकाल दिया गया और उनके स्थान पर दूसरे लोगों को नियुक्ति दे दी गई। उस समय भी कर्मचारियों ने कैट में केस दायर किया, जहां पर विभाग ने एफिडेविड देते हुए स्वीकार किया कि जब तक रेगुलर कर्मचारी नहीं आते हम कांट्रेक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों को नहीं निकालेंगे। इसके बावजूद एक अक्टूबर 2020 को शहर के स्कूलों में काम कर रहे 155 कंप्यूटर टीचर्स को हैडमास्टर और प्रिंसिपल से निर्देश जारी करवाते हुए काम से निकाल दिया गया। काम से निकाले गए कर्मचारी कैट में पहुंचे लेकिन विभाग के पास वहां पर जबाव देने के लिए कुछ नहीं था। उसके बाद दूसरे केस में 21 अक्टूबर को कैट ने निर्देश दिए कि काम से निकाले गए कर्मचारियों का रोका गया वेतन जारी किया जाए लेकिन दो महीने तक वेतन जारी नहीं हुआ तो टीचर्स ने दोबारा से कैट का सहारा लिया जिसके बाद अब विभाग 11 जनवरी को जबाव देगा कि उन्होंने कर्मचारियों को वेतन क्यों नहीं दिया।

कैट और हाईकोर्ट की स्टे के बाद सुप्रीम कोर्ट जाने के नाम पर लटकाया

वर्ष 2015-2016 में शिक्षा विभाग ने 1150 जेबीटी और टीजीटी टीचर्स की भर्ती की। भर्ती होने के करीब दो साल के बाद पता चला कि भर्ती से पहले लिया गया पेपर लीक हो गया था और कई टीचर्स के नाम उस मामले में फंसा था। विभाग ने उस समय भर्ती को रद कर दिया। भर्ती रद होने के बाद नौकरी खो चुके टीचर्स ने कैट की शरण ली। जहां पर कैट ने क्लीयर किया कि पुलिस जांच में जिन भी टीचर्स का नाम आ रहा है, उन्हें निकालते हुए टीचर्स को काम पर रखा जाए। विभाग के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था, जिसके चलते उन्हें काम पर रख लिया गया।

नवंबर 2019 में उसी मामले को लेकर शिक्षा विभाग हाईकोर्ट पहुंचा जहां पर टीचर्स की जीत हुई और विभाग को खाली हाथ लौटना पड़ा। टीचर्स को भर्ती हुए करीब चार साल का समय पूरा हो रहा था, ऐसे में टीचर्स ने विभाग से प्रोबेशन पीरियड़ क्लीयर करने की गुहार लगाई जिस पर विभाग ने कोई सुनवाई नहीं की। टीचर्स दिसंबर 2019 में दोबारा कैट की शरण में पहुंचे, जहां पर विभाग का जबाव था कि कैट और पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। कैट को जबाव देने के एक साल बाद विभाग अभी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है लेकिन सवाल खड़ होता है कैट पर। क्या कैट का विभाग के आगे कोई अस्तित्व नहीं है।

क्या है कैट

सेंट्रल एडमिनिस्टेटिव ट्रिब्यूनल बैच (कैट) प्रशासनिक मामलों में सुनवाई करने का कोर्ट है। प्रशासन से जुड़े मामले जिला अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जाने से पहले इस कोर्ट में आते है। जहां पर न्याय प्रणाली की पूरी व्यवस्था होती है।

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