दिल्ली: मीट की दुकानों पर अब लागू होगा ये नियम, प्रस्ताव को मिली मंजूरी

आप मीट या चिकन हलाल खा रहे हैं या झटका? होटलों में शायद ही पता चलता है। लेकिन अब नहीं! दिल्ली के ऐसे होटल या मीट की दुकान जो दक्षिण दिल्ली म्युनिशपल कॉर्पोरेशन के अंतर्गत आते हैं, उन्हें अब हलाल या झटका बोर्ड दुकान के बाहर लगाना अनिवार्य होगा।

SDMC की सिविक बॉडी की स्टैंडिंग कमिटी ने यह प्रस्ताव गुरुवार 24 दिसंबर 2020 को ही पास कर दिया। इस प्रस्ताव में यह भी लिखा है कि हिंदू और सिख के लिए हलाल मीट खाना वर्जित है। पास हुआ यह प्रस्ताव अब SDMC सभा में जाएगा, जहां भाजपा का बहुमत है।

SDMC की सिविक बॉडी की स्टैंडिंग कमिटी के अध्यक्ष राजदत्त गहलोत ने बताया कि इस प्रस्ताव का उद्देश्य ग्राहकों को जानकारी उपलब्ध कराना है कि वो जो खा रहे हैं, वो क्या है। साथ ही उन्होंने कहा, “अभी समस्या यह है कि लाइसेंस किसी और चीज के लिए दिया जाता है और बेचा कुछ और ही जाता है।”

आपको बता दें कि इसके संबंध में छतरपुर काउंसिलर अनिता तंवर ने प्रस्ताव रखा था, जिसे मेडिकल रिलीफ ऐंड पब्लिक हेल्थ पैनल ने 9 नवंबर 2020 को स्टैंडिंग कमिटी के सामने प्रस्तावित किया था।

हलाल का किया विरोध

क्रिसमस से ठीक पहले ईसाइयों ने हलाल मांस का बहिष्कार करने का फैसला किया है। ईसाई समुदाय के इस फैसले को हिंदू समूहों ने भी अपना समर्थन दिया है। उनका कहना है कि राज्य में हिंदू धर्म के लोग हलाल मांस बेचने के लिए मजबूर हैं। क्रिश्चियन एसोसिएशन CASA ने ईसाइयों से अपील की है कि हलाल भोजन को अब उनकी खाने की टेबल पर नहीं लाया जाना चाहिए।

ईसाई समुदाय का कहना है कि ईसा मसीह के जन्मदिन पर हलाल मांस क्यों खाना चाहिए? इस विवाद पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। हिंदू समूहों का दावा है कि ईसाई और हिंदू दोनों को हलाल मांस बेचने के लिए मजबूर किया जाता है।

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