झारखंड: पुलिस के साथ मुठभेड़ में दो लाख का ईनामी हुआ ढेर, PLFI कमांडर पुनई पर 10 साल पहले चली थी गोली

रांची-खूंटी बार्डर  के नगड़ी इलाका स्थित क्षेत्र सिंहपुर में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया दो लाख का ईनामी पीएलएफआइ कमांडर पुनई पर वर्ष 2010 में बेड़ो में गोली चली थी। इस दौरान उसके साथ मौजूद युवक की गोली लगने से मौत हो गई थी। वर्चस्व की लड़ाई की वजह से पुनई पर गोलीबारी की गई थी। इसके बाद से उसने गांव छोड़ दिया था। वह लगातार बाहर रह रहा था।

फिर कभी वह गांव नहीं लौटा। परिवार वालों से भी नहीं मिलता था। इस बीच पुनई एक बड़ा उग्रवादी बन गया। इससे पहले पुनई आर्मी या पुलिस में बहाल होना चाहता था। सेना बहाली और झारखंड पुलिस की बहाली के लिए होने वाली दौड़ में भी शामिल हुआ था। लेकिन नौकरी पाने में नाकाम रहने के बाद वह गलत संगत में पड़ गया। वर्ष 2010 में पीएलएफआइ दस्ते से जुड़ गया। संगठन में जुड़ने के बाद कम समय में ही वह पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप का करीबी बन गया। उसे सुप्रीमो दिनेश गोप की ओर से एके 47 हथियार भी दिया गया था। पुनई के परिजनों के अनुसार वह पढ़ाई में भी अच्छा था। उसने मैट्रिक परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की थी। इसके बाद इंटर की परीक्षा भी उसने प्रथम श्रेणी से पास की। उसे पुलिस की नौकरी पाने की चाहत थी, लेकिन इसमें नाकाम रहना। जिंदगी का यूटर्न हुआ और अपराध व उग्रवाद के क्षेत्र में जुड़ गया।

परिवार के कई सदस्य सरकारी नौकरी में हैं :

पुनई के परिवार में कई लोग सरकारी नौकरी में हैं। मामा पुलिस में दारोगा हैं, जबकि एक चाचा बोकारो स्टील प्लांट में इंजीनियर हैं। पुनई के घरवाले भी चाहते थे कि सरेंडर कर मुख्यधारा में लौट जाए। लेकिन वह घरवालों से भी संपर्क नहीं कर रहा था। जब संपर्क हुआ तो उसने कहा था कि वह अकूत संपत्ति अर्जित करने के बाद ही सरेंडर करेगा। घरवालों के समझाने पर भी वह नहीं मानता था। कभी-कभी वह फोन से अपनी मां से बातचीत करता था।

बोकारो में हुई थी स्कूलिंग, फुटबाल भी अच्छा खेलता था :

पुनई के परिजनों के अनुसार पुनई की स्कूलिंग बोकारो से हुई थी। वहीं से 12वीं तक की पढ़ाई की थी। इंटर फर्स्ट डिविजन से पास किया था। इंटर की पढ़ाई के बाद कालेज में पढ़ाई के लिए रांची में रहने के लिए घरवालों ने भेजा था। उसी दौरान वह पुलिस की नौकरी का प्रयास कर रहा था। पुनई फुटबाल का भी अच्छा खिलाड़ी था। वह इटकी, नगड़ी, बेड़ो सहित अन्य इलाकों में ग्रामीण स्तर का फुटबाल खेलता था। कई मैचों में बेहतर प्रदर्शन कर मशहूर भी हुआ था। लेकिन बेरोजगारी और गलत संगति में पड़कर वह पीलएफआइ से गया।

हर दिन ठिकाना बदलकर अलग-अलग घरों में शेल्टर लेता था पुनई, स्पीड बाइक में घूमता था :

पुनई हर दिन अपना ठिकाना बदल लेता था। वह अलग-अलग घरों में शेल्टर लेकर रहता था। वह जंगल वाले इलाकों में कैंप करने के बाद किसी के घर में ठहरता था। ताकि कैंप में पुलिस का एनकाउंटर या छापेमारी से बच सके। वह अपने साथ अपनी जरूरतों का सामान लेकर घूमता था। स्पीड बाइक में वह जंगलों में घूमता था। हर समय उसके पास एके 47 रहता था। अपने साथ तीन से चार लोगों को हमेशा रखता था। हालांकि पुलिस की गोली सीधे पुनई को ही लगी। बाकी उग्रवादी बचकर भाग निकले।

लाश के बास बनाया गया था घेरा, एफएसएल ने लिए सैंपल :

पंचनामा से पहले लाश के पास पुलिस ने क्राइम सीन मार्क कर घेरा बना दी थी। एफएसएल मौके पर पहुंची, गन पाउडर के लिए हैंडवाश लिया गया। जब्त हथियारों से फिंगर प्रिंट सैंपल इकट्ठा किए गए। इसके बाद ही पुलिस ने पूरी पंचनामा तैयार करने के बाद ही शव को मौके से उठवाया। पूरे घटनास्थल की फोटाेग्राफी और वीडियोग्राफी भी कराई गई।

पुनई के मारे जाने की खबर पाकर सुबह से ही मुठभेड़ स्थल पर ग्रामीणों की भीड़ जुटी रही। पुलिस किसी को करीब जाने नहीं दे रही थी। इसके लिए घेरा भी बना रखा था। पुलिस लाश के आसपास तैनात रही। ग्रामीणों को दूर रहने की हिदायत देती रही।

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