जानें क्यों इन देशों में नहीं मनाया जाता हैं क्रिसमस…

एक रिसर्च की मानें तो 2010 की जनगणना को ध्यान में रखते हुए दुनिया का सबसे ज़्यादा फैला हुआ धर्म ईसाईयत है. दुनिया की तकरीबन 31 फीसदी आबादी यानी करीब 7 अरब में से 2.2 अरब लोग ईसाई हैं. इसका मतलब साफ है कि करीब 70 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो ईसाई नहीं हैं और धार्मिक तौर पर क्रिसमस नहीं मनाते हैं. अब अगर आबादी के अलावा देशों के हिसाब से बात की जाए तो दुनिया के करीब 200 देशों में से 40 से ज़्यादा ऐसे देश हैं, जहां क्रिसमस कोई खास त्योहार नहीं है.


गैर ईसाई देशों में करीब 43 ऐसे हैं, जहां 25 दिसंबर एक आम तारीख है. यानी यहां इस दिन सार्वजनिक अवकाश नहीं होता. लेकिन, इनमें से आधे से ज़्यादा देश ऐसे भी हैं, जहां किसी न किसी तौर पर क्रिसमस मनाया जाता है. यानी क्रिसमस वाली सजावट, तोहफे या धूमधाम किसी हिस्से या किसी तौर पर दिख जाती है. लेकिन करीब 18 देश ऐसे हैं, जहां के लोग क्रिसमस किसी तरह नहीं मनाते. पहले इन्हीं 18 देशों को जानते हैं

क्रिसमस मनाया तो सज़ा!
अफगानिस्तान में क्रिसमस मनाना जोखिम से कम नहीं है. चूंकि यहां 1990 के दशक से तालिबान की समानांतर हुकूमत है और ईसाई देशों के साथ यहां एक संघर्ष लगातार बना रहा है इसलिए अगर इस इस्लामी देश में कोई क्रिसमस मनाता है तो उसे सज़ा के तौर पर अत्याचार सहने का खतरा उठाना होता है. इसी तरह, कई इस्लामी देशों में क्रिसमस नहीं मनाया जाता है.

साल 1962 में फ्रांस से आज़ादी मिलने के बाद से मुस्लिम बहुल देश अल्जीरिया में औपचारिक तौर पर क्रिसमस मनाने की कोई पंरपरा नहीं रही. तेल के लिए मशहूर इस्लामी देश ब्रूनेई में सार्वजनिक तौर पर क्रिसमस न मनाने का कानून है और कानून तोड़ने की सज़ा पांच साल तक जेल या 20,000 डॉलर जुर्माना या दोनों है. यहां गैर मुस्लिम निजी तौर पर क्रिसमस मना सकते हैं.

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