शोध में हुई बड़ी जानकारी, दिमागी सेहत से जूझ रहे लोगों को पहले मिले कोरोना वैक्‍सीन

बीते साल से कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के मामले सामने आने शुरू हुए थे. तब से दुनिया भर में लाखों लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. वहीं कई शोध में यह बात भी सामने आई है कि कोरोना से उबरने के बावजूद कुछ लोग मानसिक बीमारियों (Mental Illness) से जूझ रहे हैं. इसे देखते हुए ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि जो लोग कोरोना होने के बाद गंभीर मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं, ऐसे लोगों को कोविड-19 के टीके (Corona Vaccine) लगाने में प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड ( University of Queensland) के शोधकर्ताओं ने पिछले अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि गंभीर मानसिक बीमारी वाले लोगों को वायरस से संक्रमित होने के बाद उनमें खराब स्वास्थ्य की वजह से मृत्यु दर बढ़ने की संभावना है. यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डान सिस्किन्द (Dan Siskind) ने कहा कि अगर एक वैक्सीन जिसे सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है, विकसित की जाती है, तो इसे गंभीर मानसिक बीमारी वाले लोगों को अन्य प्राथमिकता समूहों के साथ शामिल किया जाना चाहिए. इसमें बुजुर्गों और मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. वहीं प्रोफेसर डान सिसकंद ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस काम को करने में जो कठिनाइयां आएं, उनको दूर किए जाने के उपाय किए जाने चाहिए.

उन्‍होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि हाल में टीकाकरण कार्यक्रमों से जो नतीजे सामने आए हैं, उन्‍हें देखते हुए लोगों को व्यक्तिगत और सार्वजनिक दोनों स्तर पर टीकाकरण करने में कई चुनौतियां सामने आ सकती हैं. क्‍योंकि वे टीकाकरण जैसे निवारक उपायों को अपनाने के लिए शायद जल्‍दी तैयार न हों.

इसकी वजह यह है कि मानसिक बीमारियों वाले कुछ लोग यह मान सकते हैं कि टीके असुरक्षित हैं या वे यहां तक कह सकते हैं कि ये बीमारी का कारण भी हैं. ऐसे में उन्होंने मौजूदा शारीरिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों का उपयोग करने का सुझाव दिया और मानसिक स्वास्थ्य क्लीनिकों से टीकाकरण को बढ़ाने में मदद करने को कहा है.

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