बड़ी खबर पाकिस्तान में एंटी रेप बिल पारित, दोषियों को बनाया जाएगा नपुंसक

इस्लामाबाद. पाकिस्तान (Pakistan) के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी (Dr Arif Alvi) ने नए दुष्कर्म रोधी अध्यादेश (Anti-rape ordinance) को मंगलवार को मंजूरी दे दी. नए प्रावधानों के मुताबिक दवा देकर दुष्कर्म के दोषियों का नपुंसक बनाया जा सकेगा. एंटी रेप ऑर्डिनेंस-2020 के तहत पूरे देश में ऐसे मामलों की सुनवाई और जांच के लिए सिस्टम बनाया जाएगा. अदालतों को रेप के मामलों का स्पीडी ट्रायल करना होगा. ऑर्डिनेंस के मुताबिक, पूरे देश में स्पेशल कोर्ट बनाई जाएंगी, ताकि रेप विक्टिम के मामलों की तेजी से सुनवाई की जा सके. इन अदालतों को चार महीने में सुनवाई पूरी करनी होगी.

बता दें कि ये नया कानून मोटर-वे गैंगरेप के बाद उपजे गुस्से के चलते लाया गया था. सितंबर में कुछ लोगों ने बच्चों के साथ जा रही एक विदेशी महिला से कथित तौर पर गैंगरेप किया था. उनकी कार हाइवे पर खराब हो गई थी जिसका फायदा उठाकर कुछ लोगों ने बच्चों के सामने ही मां का गैंगरेप किया था. सिंध के काशमोर जिले में महिला और उसकी नाबालिग बेटी के साथ रेप की घटना के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने नवंबर में घोषणा की थी कि सरकार एंटी रेप ऑर्डिनेंस लाएगी. पहली बार या बार-बार दुष्कर्म का अपराध करने वालों का नपुंसक किये जाने का प्रावधान किया गया है. हालांकि, इसके लिए दोषी की सहमति भी लेनी होगी.

क्या होगा इस नए कानून में?

इसके तहत नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (NADRA) के जरिए यौन अपराधियों की देश भर में लिस्ट तैयार की जाएगी. एंटी रेप क्राइसिस सेल बनाए जाएंगे जो कि घटना के छह घंटे के अंदर विक्टिम की मेडिकल जांच के लिए जिम्मेदार होंगे. अब पाकिस्तान में भी रेप विक्टिम की पहचान उजागर नहीं की जा सकेगी और ऐसा करना दंडनीय अपराध घोषित किया जाएगा. लगातार यौन अपराध करने वालों को नोटिफाइड बोर्ड की सलाह पर केमिकल की मदद से नपुंसक बना दिया जाएगा.

मामलों की जांच में लापरवाही करने वाले पुलिस और सरकारी अधिकारियों को जुर्माना लगाने के साथ तीन साल की जेल होगी. इसके अलावा झूठी जानकारी देने वाले पुलिस और सरकारी अधिकारियों को भी सजा देने का प्रावधान किया गया है. इमरान ने घोषणा की है कि वे एक फंड बनाएंगे, इसका इस्तेमाल स्पेशल कोर्ट बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा. केंद्र और राज्य सरकारें भी इसमें योगदान देंगी. इस काम में गैर-सरकारी संगठनों, आम लोगों के साथ लोकल, नेशनल और इंटरनेशनल एजेंसियों से भी मदद ली जाएगी.

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