ठंड के बीच 20वें दिन भी डटे रहे किसान, वार्ता की तैयारी में सरकार

  • सिंघु बॉर्डर पर तैनात की गई आरएएफ की टुकड़ी
  • मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर रैपिड एक्शन फोर्स और अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की गई है।

नई दिल्ली।किसानों का आंदोलन 20वें दिन में प्रवेश कर चुका है। दिल्ली में दिनोंदिन में बढ़ती ठंड के बावजूद किसानों का हौसला नहीं टूटा है और वह अपनी मांग को पूरा हुए बिना दिल्ली की सीमाएं छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वहीं सर्दी बढ़ने के साथ ही प्रदर्शकारी किसानों को बांटा जा रहा लंगर भी बदला गया है और अब वह मेवे के लड्डू भी खा रहे हैं। आंदोलन के चलते आज भी दिल्ली के कई रास्ते और बॉर्डर बंद रहेंगे। यहां पढ़ें दिनभर के अपडेट

भाजपा सरकार के लिए पूंजीपति ‘सबसे अच्छे दोस्त’ : राहुल

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार की नजर में आंदोलनकारी किसान ‘खालिस्तानी’ और पूंजीपति उसके ‘सबसे अच्छे दोस्त’ हैं। उन्होंने ट्वीट किया, मोदी सरकार के लिए विरोध करने वाले छात्र राष्ट्र विरोधी हैं, चिंतित नागरिक अर्बन नक्सल हैं, प्रवासी मजदूर कोरोना फैलाने वाले हैं, बलात्कार की पीड़िता कुछ नहीं हैं और आंदोलनकारी किसान खालिस्तानी हैं। पूंजीपति उसके सबसे अच्छे दोस्त हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के निकट कई स्थानों पर किसान संगठन पिछले करीब तीन सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। सरकार के साथ किसान संगठनों की कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही है।

राजस्थान हरियाणा बॉर्डर पर भी तीन दिन से डटे हैं किसान:

किसान आज भी जयसिंहपुर-खेड़ा बॉर्डर(राजस्थान-हरियाणा) पर बैठे हुए हैं। उन्हें यहां बैठकर आंदोलन करते तीन दिन हो गए हैं। यहां बैठे गुजरात के एक किसान ने कहा कि तीनों कृषि कानून व्यापारियों के हित में हैं, किसान के नहीं। उनका कहना है कि ये बताया जा रहा है कि गुजरात का किसान बहुत खुश है लेकिन वहां का किसान भी बाकी देश के किसानों की तरह परेशान है।

 साफ-सफाई और पानी की कमी से किसान नाराज:

दो दिन पहले हुई बारिश और पानी के टैंकरों की वजह से सिंघु बॉर्डर के दोनों तरफ जलभराव और कीचड़ के कारण किसान समर्थकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कीचड़ की वजह से कई किसानों के चप्पल और जूते भी इसकी चपेट में आकर खराब हो जा रहे हैं। लोगों को परेशानी न आए इसलिए सड़क किनारे जूते चप्पलों की बिक्री भी हो रही है। लंगर के बाद आसपास बिखरे प्लेट, पानी की बोतलें भी इधर उधर बिखरे होने की वजह से भी आंदोलनकारी किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यहां लगाए गए अस्थायी शौचालयों में किसी में पानी की कमी तो कुछ के दरवाजे बंद नहीं होते हैं। किसान इन बातों को लेकर प्रशासन से नाराज हैं।

 किसान आज सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन की रणनीति को लेकर बैठक करेंगे:

किसान आज सिंघु बॉर्डर पर अपने आंदोलन को आगे कैसे बढ़ाना है, इस पर चर्चा करेंगे। किसान आज अगले एक सप्ताह तक आंदोलन को क्या दिशा देनी है इसे लेकर चर्चा करेंगे।


गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन का 18वां दिन:

गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन का आज 18वां दिन है। बढ़ती ठंड के बाद भी किसान यहां से हटने को तैयार नहीं हैं। प्रदर्शन में बैठी 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला राम कली ने कहा कि यहां हम कई तकलीफों का सामना कर रहे हैं। लेकिन हम यहां प्रदर्शन के लिए आए हैं क्योंकि हमें न्याय चाहिए।
 

सिंघु बॉर्डर पर भी डटे हैं किसान:

सिंघु बॉर्डर पर भी किसान आंदोलन के 20वें दिन जमे हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेती तब तक वह यहां से नहीं हटेंगे।
 
टिकरी बॉर्डर पर 20वें दिन भी किसान ठंड के बावजूद अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं। गौरतलब है कि सोमवार को कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा था कि हम कृषि कानूनों की हर धारा पर बात करने को तैयार हैं। जल्दी ही बैठकर बातचीत की अगली तारीख तय की जाएगी। 
 

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