इस बड़ी वजह से GST में आने से भी नहीं घटेंगी पेट्रोल-डीजल की कीमतें

पेट्रोल व डीजल को अगर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाता है, तो उस पर लगने वाले कर की संरचना में 28 फीसदी जीएसटी तथा राज्यों द्वारा लगाया गया कर या मूल्य वर्धित कर (वैट) शामिल हो सकता है। केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी है।जीएसटी की सबसे उच्च दर (28 फीसदी) तथा वैट दोनों को मिलाकर उतना ही कर भार होगा, जितना यह दोनों ईंधनों पर मौजूदा समय में लग रहा है, जिसमें उत्पाद शुल्क तथा राज्यों द्वारा लगाया गया वैट शामिल है।

पेट्रोल तथा डीजल को जीएसटी में लाने से पहले केंद्र सरकार को यह फैसला करना होगा कि क्या वह लगभग 20,000 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट तेल खरीदारों को देने की इच्छुक है, जिसे वर्तमान में वह अपने पास रखती है, क्योंकि ईंधन फिलहाल जीएसटी व्यवस्था से बाहर है।

जीएसटी व्यवस्था लागू करने से नजदीकी तौर पर जुड़े अधिकारी ने कहा कि दुनियाभर में कहीं भी पेट्रोल व डीजल शुद्ध रूप से जीएसटी के दायरे में नहीं है, इसलिए भारत में भी इसपर जीएसटी तथा वैट दोनों ही प्रकार के कर लागू होंगे।

उन्होंने कहा कि पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के दायरे में कब लाया जाएगा, यह राजनीतिक फैसला होगा, जिसपर निर्णय केंद्र तथा राज्य दोनों मिलकर करेंगे।

वर्तमान में केंद्र सरकार पेट्रोल पर प्रति लीटर 19.48 रुपये तथा डीजल पर 15.33 रुपये का उत्पाद कर वसूलती है। वहीं विभिन्न राज्यों द्वारा लगाए गए वैट की दरें अलग-अलग हैं। दोनों ईंधनों पर बिक्री कर सबसे कम अंडमान एवं निकोबार द्वीप में लगता है, जहां यह सिर्फ छह फीसदी है। 

मुंबई में पेट्रोल पर सर्वाधिक 39.12 फीसदी वैट वसूला जाता है, जबकि तेलंगाना में डीजल पर सर्वाधिक 26 फीसदी वैट वसूला जाता है। दिल्ली में पेट्रोल पर 27 फीसदी वैट लगता है, जबकि डीजल पर 17.24 फीसदी वैट है। पेट्रोल पर कुल कर भार 45-50 फीसदी तक चला जाता है, जबकि डीजल पर 35-40 फीसदी। 

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