किसान आंदोलन के चलते, राजधानी की छोटी-बड़ी सीमाएं हुई लाक, हर तरफ बढ़ी चौकसी

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के मद्देनजर दिल्ली से सटी कई छोटी-बड़ी सीमाओं को सील कर दिया गया है और कइयों पर आवाजाही सीमित कर दी गई है। सरकार के साथ कल चौथे चरण की नाकाम वार्ता के बाद दिल्ली की सीमाओं पर चौकसी भी बढ़ा दी गई है। 

इसी क्रम में एनएच 24 पर गाजीपुर बॉर्डर बंद कर दिया गया है। गाजियाबाद से दिल्ली आने वाले ट्रैफिक को पूरी तरह से रोक दिया गया है। दिल्ली आने वाले लोगों को अप्सरा बॉर्डर से गुजरने की सलाह दी गई है। 

आंदोलन को ध्यान में रखते हुए सिंघु, लामपुर, औचंदी, साफियाबाद, पियाओ मनियारी और सबोली बॉर्डर भी सील कर दिये गए हैं। एनएच 44 पर दोनों तरफ से आवाजाही बंद है। 

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार टिकरी और झरौंदा बॉर्डर भी सील हैं। झटीकरा और बदोसराय बॉर्डर केवल दोपहिया और हल्के वाहनों के लिए खुला है। 

गुरुवार को दिन भर रही अफरा-तफरी-

गुरुवार को भी किसान आंदोलन की वजह से मुकरबा चौक से सिंघु बॉर्डर तक बसों का आवागमन बंद होने की वजह से करीब 20 किलोमीटर के दायरे में पूरे दिन अफरा-तफरी का माहौल रहा। दोपहर के वक्त डीटीसी व कलस्टर बसें जैसे ही जीटीके डिपो से आगे बढ़ी, आगे रास्ता बंद होने की वजह से दूसरे रूटों से होकर कुछ बसें अलीपुर तक पहुंची।

दोपहर बाद केवल स्पेशल ड्यूटी की बसों को छोड़कर बाईपास तक के लिए कोई भी बस सेवा नहीं थी। इस वजह से शाम पांच से रात करीब 8 बजे तक यात्रियों को दिल्ली की तरफ लौटने में भी काफी खर्च करने के बाद भी 8-10 किलोमीटर या उससे भी अधिक पैदल चलना पड़ा। हैरानी की बात यह है कि पिछले एक हफ्ते से किसानों का आंदोलन चल रहा है, लेकिन बसों के रूट डायवर्ट होने या बंद होने की पूर्वसूचना नहीं दी गई थी। पूरे दिन हजारों यात्रियों की इस परेशानी के लिए कोई जिम्मेवारी लेने वाला भी नहीं। 

जीटी करनाल रोड पर बुधवार तक बसें रूट डायवर्ट किए जाने के बाद भी करीब एक किलोमीटर पहले तक जा रही थीं। सीमाएं सील हैं, फिर भी दिल्ली से आने जाने वाले यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। 

घंटों पैदल चलने के बाद भी नहीं पहुंच सके समय पर-

कुंडली से पैदल आ रहे मोहित ने बताया कि उसे कश्मीरी गेट जाना है। लेकिन बस सेवा बंद होने की वजह से ऑटो चालक भी पांच गुना से अधिक किराया वसूल रहे हैं। गुरुग्राम में काम करने वाले विजय ने बताया कि दो घंटे के इंतजार के बाद भी जब नहीं मिली तो पैदल ही निकल पड़े। पुरानी दिल्ली से ट्रेन में यात्रा के लिए समय पर नहीं पहुंच सके। 

रास्ते में अपने परिवार के साथ सामान लेकर भी कई लोग दिखे। थक जाने पर पेड़ के पास रुककर थोड़ा आराम कर फिर आगे बढ़े, लेकिन हिम्मत जवाब देने लगी तो मजबूरन अधिक खर्च करने के बाद भी ऑटो के लिए काफी इंतजार करना पड़ा। आउटर रिंग रोड पर भी पहुंचने पर रात करीब आठ बजे भी जाम की वजह से वाहन रेंगते नजर आए, लेकिन करीब तीन किलोमीटर के बाद बसों का आवागमन सामान्य हुआ। हालांकि सामान्य दिनों की अपेक्षा बसों की संख्या कम रही। 

पांच गुना खर्च तक भी गंतव्य तक पहुंचने में देरी –

बॉर्डर से पहले ही बसों के रूट डायवर्ट कर दिए गए थे। इस वजह से यात्रियों को ऑटो, ई रिक्शा, कैब की सवारी से थोड़ी राहत मिली। इस दौरान भी सड़क पर भारी जाम की वजह से यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने में डेढ़ घंटे तक की देरी हुई। हालांकि लोगों को गंतव्य तक पहुंचने में तीन से पांच गुना अधिक रुपये खर्च करने पड़े।

रूट में परिवर्तन, आगे भी यात्रियों को करना पड़ सकता है मुश्किलों का सामना- 

इक्का दुक्का बसें अगर चली भी थी जो अलीपुर से पहले यू टर्न लेकर बख्तावरपुर, बुराड़ी, जहांगीर पुरी होते हुए आजादपुर पहुंची। इस वजह से जीटी करनाल मार्ग स्थित सिंघू, सिंघोला, टीकरी खुर्द, खामपुर, बकौली व हरियाणा की तरफ से आने वाले हजारों बस यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डीटीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक आंदोलन के मद्देनजर सुरक्षा के लिहाज से बसों के रूट बदले गए हैं। रोजाना हर घंटे हालात पर निगरानी रखी जा रही है और जरूरत के मुताबिक आगे भी रूटों में परिवर्तन किया जा सकता है।

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