तीन दिसंबर को मनाएं संकष्टी चतुर्थी, व्रत से पूरी होती है मनोकामनाएं, जानें पूजा विधि

शुभ मुहूर्त इस साल हिदू कैलेंडर के मार्गशीर्ष {अगहन} और अंग्रेजी कैलेंडर के दिसंबर माह की शुरुआत एक साथ हुई है. मार्गशीर्ष की संकष्टी चतुर्थी 3 दिसंबर को है. जानें संकष्टी चतुर्थी व्रत, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष {अगहन} मास के चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी है. इसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 3 दिसंबर 2020 को संकष्टी चतुर्थी का पर्व है. ऐसी मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से व्रत रखने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह पर्व गणेश भगवान को समर्पित है. इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है.इससे भगवान गणेश प्रसन्न होकर व्रतधारी की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

पूजा विधि: चतुर्थी व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहन लें. उसके बाद एक चौकी पर साफ़ पीला कपड़ा बिछाकर उस पर गणेश भगवान की मूर्ति रखें. अब गंगा जल छिड़ककर पूरे स्थान सहित स्वयं भी पवित्र हो लें. गणेश भगवान के सामने धूप-दीप और अगरबत्ती आदि जलाकर रख दें. गणेश भगवान को पीले-फूल की माला अर्पित करें. गणेश भगवान को दूर्वा बहुत पसंद है, संभव हो तो उसे भी उन्हें अर्पित करें. फिर गणेश चालीसा, गणेश स्तुति का पाठ करें. साथ ही गणेश भगवान का जाप करें.

अब गणेश भगवान की आरती करें और उनको बेसन के लड्डू का भोग लगाएं. उसके बाद दंडवत प्रणाम करें. आरती लेकर परिवार के लिए मंगलकामना करें. चंदमा को अर्घ्य देने के साथ व्रत सम्पूर्ण करें.

संकष्टी चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त:

सर्वार्थ सिद्धि योग– दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से लेकर 04 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 59 मिनट तक
चन्द्रोदय का समय– शाम 7 बजकर 51 मिनट
संध्या पूजा– शाम 5 बजकर 24 मिनट से शाम 6 बजकर 45 मिनट तक

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