जम्मू में मिली सुरंगों और उड़ रहे ड्रोनों के राज का हुआ खुलासा, कुछ ऐसे हैं पाक के इरादे

लद्दाख। बीते कुछ समय से जम्मू में आए दिन सुरंगें मिल रही हैं, साथ ही सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन भी देखे जा रहे हैं। खुफिया विभाग और सीमा सुरक्षा बल ने इन घटनाओं को लेकर अपने एक विश्लेषण में बताया है कि यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि कश्मीर के साथ ही जम्मू क्षेत्र में भी आतंकी गतिविधियों को सक्रिय रखा जा सके।

जम्मू के सांबा सेक्टर में बीते तीन महीनों में दो लंबी और जटिल सुरंगें मिली हैं। इसमें से पहली सुरंग का पता 29 अगस्त को लगाया गया था और दूसरी 200 मीटर लंबी और तीन फीट चौड़ी सुरंग का पता गत रविवार को चला। दूसरी सुरंग जिसकी जानकारी रविवार को मिली, उसका इस्तेमाल नरगोटा में मारे गए आतंकियों ने सीमा पार करने के लिए किया था। 

इन सब के बाद बीएसएफ ने जम्मू से गुजरात तक भारत से सटे 3300 किलोमीटर लंबे पाकिस्तान बॉर्डर के आसपास के इलाकों में सुरंगों के लिए तलाशी शुरू कर दी है, ताकि किसी भी तरह की घुसपैठ को समय रहते नाकाम किया जा सके। इसके साथ ही सीमावर्ती इलाकों में रहने वालों को भी आगाह कर दिया गया है। उन्हें किसी भी तरह की सुरंग मिलने पर या कोई संदिग्ध गतिविधी नजर आने पर सावधान रहने को कहा गया है।

एक अधिकारी ने बताया कि अधिकतर सुरंगें ऐसे मैदानी इलाकों से बनाई जाती हैं, जो पाकिस्तान की ओर उगे लंबे घासों की वजह से सेना की नजरों से छिपी होती हैं। सुरंगों को बनाने का काम रात के समय में किया जाता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हुए समझौते के अनुसार पाकिस्तान को इन लंबी घासों को छंटवाना चाहिए, लेकिन इसके विपरीत वो ड्रग्स और आतंकियों को सीमापार भेजने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं।

उन्होंने बताया कि बीएसएफ की सतर्कता के कारण पाकिस्तान को तारों के नीचे ये या खुली जगहों से घुसपैठियों को भेजने या गोला बारूद सप्लाई करने में मुश्किल हो रही है, इसलिए अब वे ड्रोन और सुरंग जैसे दूसरे हथकंडे अपना रहे हैं।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि कश्मीर में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की भारी मौजूदगी के कारण पाकिस्तान वहां कुछ नहीं कर पा रहा है, इसलिए अब उसने जम्मू में सीमा पर अपनी गतिविधि बढ़ा दी है। पाकिस्तान जम्मू सीमा पर अपनी सक्रियता बनाए रखना चाहता है ताकि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह दावा कर सके कि सीमा का यह पक्ष भी विवादित है क्योंकि वो इसे ‘वर्किंग बाउंड्री’ कहते हैं।
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