कोरोना काल को देखते हुए न बैंड बाजा न बराती, 17 मिनट में बन गए जन्म-जन्म के साथी

आज के समय में शादी समारोहों में फिजूलखर्ची और दिखावे की होड़ मची हुई है। ऐसे में बागेश्वर के दूरस्थ गांव जारती (कपकोट) में कबीरपंथी विधि से दहेज रहित विवाह संपन्न हुआ।

नई दिल्ली। अल्मोड़ा के सल्ट निवासी महेंद्र सुंदरियाल के पुत्र पंकज और जारती गांव के हीरा सिंह की पुत्री निर्मला ने रविवार को एक-दूसरे को जीवन साथी चुन लिया। यह दोनों परिवार कबीरपंथी संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी हैं।

इसकी खास बात यह रही कि इस शादी में न तो बरात निकली, न ढोल, न बैंड, न डीजे और न ही बराती शामिल हुए। मात्र 17 मिनट में विवाह संपन्न हो गया। भगवत मुक्ति कबीर परमेश्वर ट्रस्ट ने यह शादी संपन्न कराई।

कबीरपंथी विधि से विवाह करने का निर्णय लिया-

दोनों परिवारों ने कबीरपंथी विधि से विवाह करने का निर्णय लिया था। सल्ट से रविवार को दूल्हा पक्ष के 15 लोग सादगी से जारती गांव पहुंचे। विवाह की रस्म के दौरान संत रामपाल जी महाराज की मूर्ति के समक्ष गुरुवाणी का पाठ किया गया।

पंकज और निर्मला परमेश्वर कबीर साहेब और गुरु प्रतिमा को साक्षी मानकर विवाह के पवित्र बंधन में बंध गए। समाज के सामने एक नजीर पेश करने वाले इस विवाह में एक रुपये के दहेज का लेन-देन नहीं हुआ।

दूल्हा-दुल्हन ने सादे कपड़ों में विवाह की रस्म निभाई। दूल्हा पंकज भारतीय स्टेट बैंक की सल्ट शाखा में कार्यरत है वहीं दुल्हन निर्मला ग्राम्या बागेश्वर में कार्यरत है। जारती निवासी भूपेंद्र सिंह मेहता का कहना है कि इस विवाह से समाज को सीख लेनी चाहिए। आडंबर से बचना चाहिए।

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