शोध में हुई जानकारी, महिलाओं में हर गर्भावस्था में एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करती है

नई दिल्ली। महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का बेहद ख्याल रखने की जरुरत है। अक्सर महिलाओं को मैंस्ट्रुअल प्रोब्लम या फिर ल्यूकोरिया जैसी परेशानियों की वजह से पेट के निचले हिस्से में यानि पेल्विक के आस-पास दर्द की शिकायत रहती हैं। लेकिन आप जानते हैं जिस दर्द को आप मैंस्टुअल प्रॉब्लम समझ रही हैं वो किसी बड़ी बीमारी का भी संकेत हो सकते हैं। जी हां, ये दर्द एंडोमेट्रियल कैंसर का भी कारण हो सकता है। ये बीमारी किसी भी उम्र में महिलाओं में पनप सकती हैं। 40 साल से 60 साल की उम्र में महिलाओं में इस बीमारी के ज्यादा होने के आसार रहते है।

पेल्विक एरिया यानी पेट के सबसे निचले वाले हिस्से में होने वाला दर्द एंडोमेट्रियल कैंसर का सबसे पहला संकेत है। इस बीमारी का पता कई लक्षणों से लगाया जा सकता है। क्यूआईएमआर बर्गोफर रिसर्च के मुताबिक महिलाओं में प्रत्येक अतिरिक्त प्रेग्नेंसी का अनुभव उसे उसके शरीर में एंडोमैटेरियरम कैंसर की आशंका को कम कर सकता है। चाहे गर्भावस्था होने के बाद उसे मिसकैरिज ही क्यों न हो जाए लेकिन यह अतिरिक्त प्रेग्नेंसी महिलाओं में एंडोमैटिरियल कैंसर के जोखिम को कम करती है।

एंडोमैटेरियम कैंसर गर्भाशय की भित्ति में होता है। क्यूआईएमआर बर्गोफर रिसर्च में यह बात सामने आई है। बर्गोफर मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के गायनोलॉजिकल कैंसर ग्रुप के प्रोफेसर पेनलोप वेब ने अध्ययन में पाया है कि एंडोमेट्रियल कैंसर का जोखिम प्रत्येक प्रेग्नेंसी के बाद कम होता जाता है। यह चक्र आठ प्रेग्नेंसी तक जारी रहता है। प्रोफेसर वेब ने बताया कि इस रिसर्च से एंडोमेट्रियल कैंसर के बारे में कई नई जानकारी हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में एंडोमेट्रियल कैंसर पांचवा सबसे आम कैंसर है जिसका इलाज किया जा सकता है।

एंडोमेट्रियम कैंसर यानि गर्भाशय की अंदरुनी परत पर होने वाला कैंसर है। एंडोमेट्रियम पर जब असामान्य तरीके से टिशूज बढ़ने लगते हैं तो यह कैंसर बन जाता है।

प्रोफेसर वेब ने बताया कि यह बात एकदम आम है कि फुल टर्म प्रेग्नेंसी महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर को जोखिम को कम करती है लेकिन इस रिसर्च से पहली बार यह साबित हुआ है कि न सिर्फ पहली फुल टर्म प्रेग्नेंसी इस कैंसर के जोखिम को 15 प्रतिशत तक कम करती है बल्कि यह जोखिम कम से कम आठ प्रेग्नेंसी तक और कम होता जाता है। उन्होंने कहा कि हमने अपनी रिसर्च में यह भी पहली बार पाया कि प्रेग्नेंसी होने के बाद बेशक मिसकैरिज हो जाए लेकिन इससे भी एंडोमेट्रियल कैंसर होने की आशंका 7 प्रतिशत तक कम हो जाती है।

शोधकर्ताओं ने इस रिसर्च के लिए प्रेग्नेंसी पर दुनिया भर के करीब 30 से ज्यादा अध्ययनों का विश्लेषण किया है। इसमें 16986 महिलाओं को एंडोमेट्रियल कैंसर था जबकि 39,358 महिलाओं को कभी भी बीमारी नहीं हुई थी। क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुजेन जॉर्डन ने बताया कि हमारी इस रिसर्च से इस धारणा पर भी सवाल खड़ा हुआ है जिसमें कहा जाता है कि प्रेग्नेंसी के आखिरी तीन महीनों के दौरान हार्मोन का स्तर महिलाओं में कैंसर के खिलाफ रक्षात्मक प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि इस रिसर्च से यह साबित हुआ है कि प्रेग्नेंसी के बाद पहले तीन महीनों के दौरान भी अगर गर्भपात हो गया तो भी उसमें कुछ रक्षात्मक सामग्री तैयार हो जाती है जिससे वह कैंसर से लड़ने में मददगार साबित हो सके।

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