बड़ी खबर रेलवे के सरकारी आवास को ठेकेदार ने बनाया गोदाम, किराया देकर रहते हैं स्टेशन मास्टर

बिलासपुर। कोरबा रेलखंड में कार्यरत रेलकर्मी पहले से ही आवासीय मकानों की कमी से जूझ रहे हैं। विडंबना यह कि उपलब्ध सुविधा में जो मकान उन्हें दिए गए हैं, उन पर भी ठेकेदारों की नजर होती है। कुछ इसी तरह की शिकायत बालपुर स्टेशन की रेलवे कालोनी से सामने आई है। कालोनी के कई मकानों समेत स्टेशन मास्टर को आवंटित आवास भी ठेकेदार के गोदाम में तब्दील हो गया है और वे अपने परिवार समेत बाहर किसी किराए के मकान में रहने को विवश हैं।

छोटे-बड़े सात रेलवे स्टेशनों वाले कोरबा रेलखंड में एक हजार से अधिक रेलकर्मी कार्यरत हैं। इनमें बालपुर रेलखंड का पहला स्टेशन है, जो चांपा के सहायक डिविजनल इंजीनियर (एडीईएन) के अधीन आता है। बालपुर की रेलवे कालोनी में मकान क्रमांक सी-वन स्टेशन मास्टर बालपुर को आवंटित किया गया है, जिस पर ठेका कंपनी सहारिया कंस्ट्रक्शन का कब्जा है। परिणाम स्वरूप स्टेशन मास्टर और उनका परिवार स्वयं के खर्च से बाहर किराए के मकान में रहने को मजबूर हो रहा है। बताया जा रहा कि सहारिया कंस्ट्रक्शन यहां प्लेटफार्म बनाने का काम कर रही है, जिसके लिए रेलवे के इन विभागीय मकानों व परिसर को गोदाम बना दिया गया है। रेलवे की संपत्ति पर अनाधिकृत कब्जा कर उपयोग किए जाने के लिए न तो स्थानीय कार्यालय को किसी प्रकार की जानकारी ही दी गई है और न ही स्टेशन में मकान के लिए कोई आवंटन पत्र ही प्रस्तुत किया गया है।

डायरी एंट्री कर अधिकारियों को किया सूचित-

बालपुर की कालोनी में रेल कर्मचारियों के लिए ए-टाइप के तीन व बी-टाइप के भी तीन मकान हैं। रेलवे से प्लेटफार्म के निर्माण कार्यों का ठेका लेने वाली इस कंपनी ने कर्मियों ने मकान संख्या ए-1, बी-2 व सी-1 में अवैध रूप से कब्जा भी कर रखा है। ठेकेदार के विभागीय आवास पर कब्जे की सूचना कई बार संबंधित विभाग एवं सुरक्षा नियंत्रक को डायरी एंट्री के माध्यम से दी जा चुकी है, पर ध्यान नहीं दिया गया। इन समस्याओं पर ध्यान केंद्रित कर जल्द से जल्द निराकरण करने का आग्रह किया गया है।

फर्श टूटे व, दीवारों में दरारे, पानी बाहर से ला रहे-

कर्मचारियों ने लिखा है कि बालपुर के अधिकतर आवासीय मकानों में फर्श जगह-जगह से धंस गई है। दीवारों पर जहां-तहां दरारें पड गई हैं, जिनसे बारिश के मौसम में बाहर का पानी घर के भीतर घुस आता है। दरवाजे-खिडकियों की हालत भी खराब है और यहां तक कि पीने के पानी की मूलभूत आवश्यकता के लिए भी कालोनी में कोई व्यवस्था नहीं है। अपनी दैनिक जरूरत की पूर्ति के लिए कर्मचारियों को बाहर से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है। अपनी इन समस्याओं से अवगत कराते हुए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर के सहायक मंडल रेल प्रबंधक को एक पत्र लिखा है।

दो साल से सुधार की मांग पर सुनवाई नहीं-

कालोनी के जर्जर मकानों में रहना कर्मचारियों के लिए काफी परेशानीभरा है। दो साल से आइओडब्ल्यू को सूचित कर मरम्मत कराने का मौखिक व लिखित आग्रह किया जाता रहा है। आवश्यकता के अनुरूप कम से कम लघु मरम्मत का कार्य ही कर दिया जाए, तो काम चलाया जा सकता है। कर्मचारियों का कहना है कि आइओडब्ल्यू हर बार उनकी शिकायत सुनकर लघु मरम्मत पुस्तिका में तो दर्ज कर लेते हैं, पर उसके बाद काम आगे नहीं बढ़ पाता। अधिकारी उनकी समस्या दर्ज (नोटेड रिमार्क) कर छोड दिया जाता है। परिणाम स्वरूप दो साल से यहां एक भी सुधार या मरम्मत कार्य नहीं किया जा सका है।

वहां रेलवे का काम चल रहा है, जिसके चलते रेलवे कालोनी के कुछ मकानों में ठेका कंपनी का गोदाम बना लिए जाने की शिकायत मिली है। ईओडब्ल्यू को निर्देश दिए हैं कि जल्द से जल्द सामान हटवाकर उन मकानों को खाली कराएं। कर्मचारी आवासों के मरम्मत एवं सुधार कार्य भी जल्द कराए जाएंगे।

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