भारत में ज्यादातर लोग क्यों पसंद करते हैं तीखा खाना, जरुर जानें

भारत के खानपान के बारे में मशहूर है कि ये चटख, तीखा और मिर्च-मसाले से भरपूर होता है। दुनिया में कई और ऐसे देश हैं जहां पर मसालों की मदद से खाने को चटखारेदार बनाया जाता है। मेक्सिकन, चाइनीज और इथियोपियाई व्यंजन अपने तीखेपन के लिए मशहूर हैं। दुनिया के तमाम देशों में तुर्श खाने के शैदाई मिलते हैं। वो ऐसा खाना पसंद करते हैं जो मुंह में आग लगा दे।

सबसे तीखा व्यंजन-

ठीक यही बात व्यंजन के बारे में कही जाती है। एक भारतीय रेस्टोरेंट में चश्मे पहनकर डिश बनाई जाती है। इसका नाम है विडोवर फॉल। तीखापन नापने के पैमाने स्कोविल स्केल में ये डिश एक लाख की रेटिंग पर आती है। इसके मुकाबले कुछ लोग कोरिया की सुसाइड बरीटो को सबसे तीखा व्यंजन मानते हैं।

पश्चिमी देशों में विंडालू से लेकर भूतिया मिर्च और चीन के सिचुआन प्रांत में बनने वाले मिर्च से भरे मांसाहारी सालन दुनिया भर में चर्चा का विषय हैं। इन किस्सों को जानकर कभी आपके मन में ये ख्याल नहीं आता कि आखिर कुछ व्यंजन तीखेपन की रेस में क्यों दौड़ते हैं क्योंकि कुछ डिश तो ऐसी होती हैं, जो बिना तीखी लगे भी बेहद स्वादिष्ट बनती हैं।

मसालेदार खाना-

ये सवाल कई सालों से मानवविज्ञानियों और खान-पान के इतिहासकारों को परेशान किए हुए है। यूं तो आम तौर पर गर्म आबो-हवा वाले देशों में लोगों का खान-पान तीखा और मसालेदार होता है। इसकी वजह शायद ये होती है कि मिर्च-मसालों में बीमारियों से लड़ने की ताकत होती है।

एक सर्वे से पता चला है कि जैसे-जैसे धरती का तापमान बढ़ रहा है, दुनिया के कई हिस्सों में लोग तीखा और मसालेदार खाना पसंद करने लगे हैं। पहले ऐसा नहीं था। गर्म तापमान वाली जगहों पर मिर्च-मसालों की मदद से खाने को देर तक ख़राब होने से बचाया जाता था। आज तो खैर हर चीज को फ्रिज में डालकर लंबे वक्त तक इस्तेमाल किया जा सकता है।

तीखा-मसालेदार खाना खाने की एक वजह ये भी हो सकती है कि इससे लोगों को पसीना आता है। ये पसीना हमें गर्म मौसम में ठंडा रखने में मददगार होता है। लेकिन जिन इलाकों में हवा में गर्मी के साथ नमी भी रहती है, वहां ये नुस्खा बेअसर ही रहता है क्योंकि शरीर से निकलने वाला पसीना हवा से सूखेगा नहीं और हमें ठंडा महसूस नहीं होगा।

एक रिसर्च से पता चला है कि वर्जिश के बाद जो लोग गर्म पानी पीते हैं, उनके शरीर का तापमान ठंडा पानी पीने वालों के मुकाबले ज्यादा जल्दी से गिरता है। वैसे, मिर्च भारत जैसे गर्म देशों की उपज नहीं है। पहले ये सिर्फ अमेरीकी महाद्वीप में मिलती थी। लेकिन यूरोपीय लोगों के साथ ये 15वीं-16वीं सदी में पूरी दुनिया में फैल गई। इससे पहले अदरख, काली मिर्च और दालचीनी जैसे तीखे मसाले पूर्वी देशों से यूरोप तक पहुंचे थे। भारत तो काली मिर्च की वजह से ही यूरोपीय देशों में मशहूर था।
असल में किसी भी जीव की तरह पहले हम चखकर ये देखते हैं कि कोई चीज खाने लायक है या नहीं। जब हमारी ज़ुबान को ये पता हो जाता है कि किसी चीज को खाना खतरनाक नहीं है, तो हम उसके आदी होने लगते हैं। बहुत से लोगों को मिर्च का तीखापन लुभाता है। मिर्च के बगैर खाना उन्हें बेस्वाद लगता है।

बहुत से लोगों को इसमें मजा आता है। तुर्शी का वो लुत्फ उठाते हैं। वो ये दावा कर सकते हैं कि वो तीखी से तीखी मिर्च बर्दाश्त कर सकते हैं। यानी आज तीखे, मसालेदार खाने को पसंद करने के पीछे कोई वैज्ञानिक वजह नहीं। हम ये सोचकर तीखा नहीं खाते कि मसालों में कीटाणुओं से लड़ने की ताक़त भी होती है।

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