रांची में ध्वनि प्रदूषण का प्रकोप बढ़ा, सामान्य दिनों की तुलना में 30 फीसदी ज्यादा

प्रशासन के सख्त निर्देश के बावजूद रांची में दिवाली की रात जमकर आतिशबाजी हुई। इस दौरान किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया। सार्वजनिक स्थानों पर भी आतिशबाजी की गई। जिला प्रशासन ने रात आठ से दस बजे के बीच ही आतिशबाजी का समय निर्धारित किया था, लेकिन शाम छह बजे से रात 12 बजे तक शहर में पटाखे की आवाज गूंजती रही। आतिशबाजी जारी रही।

आतिशबाजी से शहर में ध्वनि प्रदूषण सामान्य दिनों से 30 फीसदी बढ़ गया। सबसे ज्यादा प्रदूषण रांची के अलबर्ट एक्का चौक इलाके में हुआ। यहां की हवा में शाम 7 बजे से ही प्रदूषण फैलना शुरू हो गया था। यहां सामान्य दिनों में औसत 62 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण रहता है, जबकि दिवाली के दिन यह शाम छह बजे से रात 12 बजे तक औसतन 75 डेसिबल रहा।

रात नौ बजे हुआ सबसे ज्यादा प्रदूषण : झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से रांची के चार इलाकों में ध्वनि प्रदूषण मापने का यंत्र लगाया गया था। इसमें हाईकोर्ट, डोरंडा, अलबर्ट एक्का चौक, कचहरी चौक और अशोक नगर का इलाका शामिल है। इन इलाकों में रात नौ बजे के बाद सबसे ज्यादा शोर हुआ। अशोक नगर में रात 9 बजे 73.6 डेसिबल, कचहरी में 79 डेसिबल, अलबर्ट एक्का चौक में 81 डेसिबल और हाईकोर्ट इलाके में 68.2 डेसिबल का शोर मापा गया, जो औसतन सामान्य दिनों में 60 डेसिबल से भी कम रहता है।

वायु प्रदूषण के अध्ययन में जुटा बोर्ड : आतिशबाजी का राजधानी की हवा पर कितना असर पड़ा बोर्ड अब इसके अध्ययन में जुट गया है। पिछले साल दिवाली में सामान्य दिनों की तुलना में 25 फीसदी अधिक ध्वनि प्रदूषण हुआ था।

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