आचार्य चाणक्‍य के अनुसार विद्वान पुरुष इनसे रहें दूर, वरना हो सकता है नुकसान

चाणक्य नीति। आचार्य चाणक्य विभिन्न विषयों के ज्ञाता थे. उन्‍हें श्रेष्ठ विद्वान होने के साथ एक कुशल कूटनीतिज्ञ भी माना जाता है. चाणक्य के नीति शास्त्र में जीवन से जुड़ी विभिन्‍न समस्‍याओं और इनके हल की ओर ध्‍यान दिलाया गया है. चाणक्य ने ‘अर्थशास्त्र’ की रचना की. इस कारण उन्‍हें कौटिल्य कहा जाने लगा. आज हम आपके लिए ‘हिंदी साहित्य दर्पण’ के साभार से लेकर आए हैं आचार्य चाणक्य की कुछ नीतियां. चाणक्य की नीतियां जीवन को सफल बनाने और इसे बेहतर तरीके से जीने की प्रेरणा देती हैं. इन नीतियों में चाणक्य ने ज्ञानी व्‍यक्तियों के संबंध में कुछ खास बातें बताई हैं.

ज्ञान का उपयोग है जरूरी-

आचार्य चाणक्‍य के अनुसार अगर ज्ञान को उपयोग में न लाया जाए, तो वह खो जाता है. आदमी अगर अज्ञानी है, तो खो जाता है. इसी तरह सेनापति के बिना सेना खो जाती है. ऐसे ही पति के बिना पत्नी खो जाती है.

अन्‍न का है विचारों से संबंध-

चाणक्‍य नीति के अनुसार जिस तरह दीपक अंधेरे का भक्षण करता है, इसीलिए काला धुआं बनाता है. इसी प्रकार हम जैसा अन्न खाते है. माने सात्विक, राजसिक, तामसिक उसी प्रकार के विचार हमारे अंदर उत्पन्न होते हैं.

विद्वान पुरुष की पहचान-

चाणक्‍य नीति में बताया गया है कि विद्वान पुरुष अपनी संपत्ति केवल पात्र को ही दें. वे बताते हैं कि जो जल बादल को समुद्र देता है, वह मीठा होता है. बादल वर्षा करके वह जल पृथ्वी के सभी चल अचल जीवों को देता है और फिर उसे समुद्र को लौटा देता है.

जल अपच की दवा है-

आचार्य चाणक्‍य के अनुसार जल अपच की दवा है. जल चैतन्य निर्माण करता है. अगर उसे भोजन पच जाने के बाद पीते है. पानी को भोजन के बाद तुरंत पीना विष पीने के समान है.

जीवन के महत्‍वपूर्ण पड़ाव-

चाणक्‍य नीति में बताया गया है कि वह आदमी अभागा है, जो अपने बुढ़ापे में पत्नी की मृत्यु देखता है. वह भी अभागा है, जो अपनी सम्पदा संबंधियों को सौंप देता है. वह भी अभागा है, जो खाने के लिए दूसरो पर निर्भर रहता है.

E-Paper