छत्तीसगढ़ में दिवाली पटाखे जलाने पर शंसय, पर्यावरण संरक्षण मंडल ने कलेक्टर को एनजीटी गाइडलाइन का भेजा पत्र

राजनांदगांव। छह दिनों के बाद दीपावली है। पटाखों के बाजार न केवल सज चुके हैं, बल्कि लोगों ने खरीदना भी शुरू कर दिया है। मगर, ऐन वक्त पर पटाखा जलाने को लेकर संशय की स्थिति निर्मित हो गई है। दरअसल, राज्य सरकार के छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने कलेक्टर को एनजीटी की गाइडलाइन वाला पत्र भेजा है। इसमें प्रदूषण का खतरा और कोरोना संक्रमण को देखते हुए पटाखा जलाने पर प्रतिबंध जारी करने का निर्देश दिया है।

हालांकि, इसे छत्तीसगढ़ में भी लागू किया जाना है या नहीं, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है। सोमवार को प्रदेश सरकार इसे लेकर मंथन करेगी। इसके आधार पर जिला प्रशासन तय करेगा कि करना क्या है। इसके बाद ही पटाखों को जलाने को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

पर्यावरण संक्षरण मंडल के जारी पत्र में बताया गया है कि पटाखा जलाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ेगा, वहीं इससे कोरोना का संक्रमण बढ़ने और संक्रमित मरीजों की भी स्थिति बिगड़ सकती है। इसे देखते हुए जिले में पटाखा जलाने को लेकर सख्ती बरती जाए। हांलाकि, अब तक जिला प्रशासन की ओर से इसे लेकर कोई भी निर्देश जारी नहीं किया गया है।

कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने बताया कि नौ नवंबर को इसे लेकर एनजीटी नया दिशा-निर्देश जारी कर सकता है। उसके आधार पर शासन स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद ही किसी तरह का आदेश जिले के लिए जारी किया जाएगा। फिलहाल दिवाली पर्व के दौरान पटाखों को लेकर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।

संशय से व्यापारी भी परेशान-

शहर ही नहीं, पूरे जिले में पटाखों की दुकानें सज चुकीं हैं। छिटपुट बिक्री भी शुरू हो चुकी है। इस बीच पटाखों को लेकर संशय की स्थिति को देखते हुए व्यापारी भी परेशान हैं। शहर के म्युनिस्पल स्कूल मैदान में पटाखों के 89 दुकानों के लिए भूखंड आवंटित कर दिया गया है। यहां दुकान बनाने का काम भी शुरू हो गया है। ऐसे में अगर प्रदेश सरकार पटाखों पर किसी तरह का सख्त निर्णय लेती हैं, तो इन व्यापारियों को बड़ा नुकसान हो सकता है। पहले ही कोरोना संकट को देखते हुए व्यापारियों ने हर साल की तुलना में कम ही स्टाक मंगाया है।

गांवों तक पहुंच चुके हैं पटाखे-

जिले में करीब डेढ़ सौ लाइसेंसधारी पटाखा व्यापारी हैं। इनमें 50 ग्रामीण क्षेत्रों के हैं, जिन्होंने दिवाली के पखवाड़ेभर पहले से ही पटाखों की खरीदी कर स्टाक कर रखा है। ब्लाक मुख्यालयों में भी पटाखों की बिक्री शुरू हो चुकी है। ऐसे में शासन-प्रशासन स्तर पर किसी तरह की पाबंदी लगाई जाती है, तो उस पर अमल करा पाना प्रशासन के लिए कड़ी चुनौती साबित हो सकता है।

E-Paper