शरीर की चर्बी करें खत्म, बनी रहेगी एनर्जी, योग एक्सपर्ट सविता यादव से सीखें ये आसन

योग शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कमर (Waist) को लचीला बनाए रखना बहुत जरूरी होता है. साथ ही पेट की चर्बी को भी कम करना पड़ता है. ऐसा करने से आपका शरीर ने केवल बाहर से सुंदर दिखता है बल्कि शरीर अंदर से भी हेल्दी रहता है. बैठकर काम करने से पेट की चर्बी भी तेजी से बढ़ती है. ऐसे में आपको कुछ खास योगासनों (Yoga) का अभ्यास करना चाहिए. योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है और जीवन संतुलित बना रहता है. कमर दर्द को दूर करने के लिए किसी भी योगासन को करने से पहले मांसपेशियों को आराम देना बहुत जरूरी होता है. ऐसे में पहले बॉडी को रिलैक्स करें और उसके बाद योगासन का अभ्यास करें. कभी भी दर्द में योगासन करने की कोशिश न करें. इससे विपरीत परिणाम हो सकते हैं. निम्नलिखित योगासनों की मदद से अपना कमर दर्द दूर करें.

भू-नमन आसन-

इस आसन में सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएं. अपनी क्षमता के मुताबिक अपने पैर फैलाएं. इस दौरान ध्‍यान रखें कि आपके पंजे बिल्कुल सीधे रहें. इसके बाद सांस लेते हुए हाथों को ऊपर की तरफ ले जाएं. अब अपने दोनों हाथों को पैरों की ओर लाते हुए पैरों की अंगुलियों को पकड़ें. इसके बाद अपनी ठोड़ी को जमीन से लगाने का प्रयास करें.

भू-नमन आसन के फायदे-

भू नमन आसन को नियमित तौर पर करने से डाइजेशन बेहतर होता है. इसके अलावा इससे पैरों की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं.

सेतु बंधासन-

सेतु बंधासन हमारे मन और शरीर के बीच तालमेल बैठाने में मदद करता है. जैसे पुल का काम ट्रैफिक और दबाव को सहन करना है, ये आसन भी हमारे शरीर से टेंशन को निकालता और कम करने में मदद करता है. साथ ही कमर दर्द में आराम मिलता है.

सेतु बंधासन करने का तरीका-

योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं. सांसो की गति सामान्य रखें.
इसके बाद हाथों को बगल में रख लें.
अब धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर हिप्स के पास ले आएं.
हिप्स को जितना हो सके फर्श से ऊपर की तरफ उठाएं. हाथ जमीन पर ही रखें.
कुछ देर के लिए सांस को रोककर रखें.
इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस जमीन पर आएं. पैरों को सीधा करें और विश्राम करें.
10-15 सेकंड तक ​आराम करने के बाद फिर से शुरू करें.

भुजंगासन-

भुजंगासन, सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से 8वां है. भुजंगासन को सर्पासन, कोबरा आसन या सर्प मुद्रा भी कहा जाता है. इस मुद्रा में शरीर सांप की आकृति बनाता है. ये आसन जमीन पर लेटकर और पीठ को मोड़कर किया जाता है जबकि सिर सांप के उठे हुए फन की मुद्रा में होता है.

भुजंगासन के फायदे-

रीढ़ की हड्डी में मजबूती और लचीलापन
पेट के निचले हिस्से में मौजूद सभी अंगों के काम करने की क्षमता बढ़ती है
पाचन तंत्र, मूत्र मार्ग की समस्याएं दूर होती हैं और यौन शक्ति बढ़ती है
मेटाबॉलिज्म सुधरता है और वजन कम करने में मदद मिलती है
कमर का निचला हिस्सा मजबूत होता है
फेफड़ों, कंधों, सीने और पेट के निचले हिस्से को अच्छा खिंचाव मिलता है
डिप्रेशन में भी इससे फायदा मिलता है
अस्थमा में भी राहत

शलभासन-

शलभासन एक संस्कृत भाषा का शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें पहले शब्द शलभ का अर्थ टिड्डे या कीट (Locust ) और दूसरा शब्द आसन का अर्थ होता है मुद्रा अर्थात शलभासन का अर्थ है टिड्डे के समान मुद्रा होना. इस आसन को अंग्रेजी में ग्रासहोपर पोज बोलते हैं. इससे आपकी रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है.

शलभासन करने का तरीका-

शलभासन करने लिए सबसे पहले आप किसी साफ स्थान पर चटाई बिछा कर उलटे पेट के बल लेट जाएं यानि आपकी पीठ ऊपर की ओर रहे और पेट नीचे जमीन पर रहे. अपने दोनों पैरो को सीधा रखें और अपने पैर के पंजे को सीधे तथा ऊपर की ओर रखें. अपने दोनों हाथों को सीधा करें और उनको जांघों के नीचे दबा लें यानी अपना दायां हाथ दायीं जांघ के नीचे और बायां हाथ बायीं जांघ के नीचे दबा लें. अपने सिर और मुंह को सीधा रखें. फिर अपने को सामान्य रखें और एक गहरी सांस अंदर की ओर लें. अपने दोनों पैरों को ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करें, जितना हो सकता हैं उतना अपनी अधिकतम ऊंचाई तक पैरों को ऊपर करें.

अगर आप योग अभ्यास में नए हैं, तो आप पैरों को ऊपर करने के लिए अपने हाथों का सहारा ले सकते हैं, इसके लिए आप अपने दोनों हाथों को जमीन पर टिका के अपने पैरों को ऊपर कर सकते हैं. आप इस मुद्रा में कम से कम 20 सेकंड तक रहने की कोशिश करें, इसे आप अपने क्षमता के अनुसार कम ज्यादा कर सकते हैं. इसके बाद आप धीरे धीरे अपनी सांस को बाहर छोड़ते हुए पैरों को नीचे करते जाएं. दोबारा अपनी प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं. इस अभ्यास को 3-4 बार दोहराएं.

शलभासन के फायदे-

शलभासन वजन को कम करने के लिए एक अच्छी योग मुद्रा मानी जाती है. यह शरीर में चर्बी को खत्म करने में मदद करती है. शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए शलभासन एक अच्छी मुद्रा है. यह शरीर के हाथों, जांघों, पैरों और पिंडरी को मजबूत करता है, इसके साथ यह पेट की चर्बी को कम करके उसे सुंदर बनाता है. रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के लिए शलभासन एक अच्छा योग है. शलभासन से अनेक प्रकार की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है. यह हमारे पेट के पाचन तंत्र को ठीक करता करता है, जिससे पेट संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं, इसके साथ यह कब्ज को ठीक करता है, शरीर में अम्ल और क्षार के संतुलन को बनाए रखता है.

मार्जरी आसन-

मार्जरी आसन को अंग्रेजी में कैट पोज (Cat pose) के नाम से बुलाया जाता है. इसे कैट खिंचाव मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है. इस आसन को करने से रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों का लचीलापन बना रहता है. मार्जरी आसन एक आगे की ओर झुकने और पीछे मुड़ने वाला योग आसन है. कैट वॉक दुनिया भर में प्रसिद्ध है, लेकिन हम योग आसन वर्ग में कैट पोज के बारे में चर्चा करते हैं. यह आसन आपके शरीर के लिए अनके प्रकार से लाभदायक है. यह आसन रीढ़ की हड्डी को एक अच्छा खिंचाव देता है. इसके साथ यह पीठ दर्द और गर्दन दर्द में राहत दिलाता है.

मार्जरी आसन के फायदे-

रीढ़ की हड्डी को अधिक लचीला बनने में मदद करता है
पाचन क्रिया में सुधार करने में मदद करती है
रक्त परिसंचरण में सुधार करती है
पेट से अनावश्यक वसा को कम करने में मदद करता है
पेट को टोन करने में मदद करता है
तनाव को दूर करने में बहुत मदद करता है
मन को शांत करके मानसिक शांति प्रदान करता है
कंधे और कलाई दोनों को मजबूत बनाता है.

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