विंध्यधाम में कोरोना के चलते बड़ी आस्था: सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियाँ, माता के दरबार में भक्तों का उमड़ा सैलाब

शारदीय नवरात्र मेला में भक्तों की भीड़ उमड़ी पड़ी। भोर में मंगला आरती के बाद से ही शुरू हुआ दर्शन-पूजन का सिलसिला देर रात तक चलता रहता है। तरह-तरह के फूलों से मां विंध्यवासिनी के हुए शृंगार की एक झलक पाकर श्रद्धालु निहाल हो जाते हैं। घंटा, घड़ियाल, शंख, नगाड़ा एवं जय अंबे जय जगदंबे के जयकारे से समूचा मंदिर परिसर गुंजायमान हो जाता है। दिन में करीब 70 हजार से ज्यादा श्रद्धालु मां दरबार पहुंच रहे हैं।

नवरात्र के समय में वैसे तो लाखों भक्त दर्शन-पूजन के लिए आते हैं, लेकिन कोरोना के चलते फिलहाल 50 से 70 हजार श्रद्धालु ही पहुंच रहे हैं। कोरोना में देवी धाम परिसर में विशेष इंतजाम किए गए हैं। शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर पावन विंध्याचल धाम में देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

विंध्यधाम के विभिन्न गंगा घाटों पर स्नान करने के बाद हाथों में नारियल, चुनरी, माला और फूल के साथ ही माता का प्रसाद लिए भक्त मंदिर की ओर कतारबद्ध रहते हैं। बीच-बीच में माता के जयकारे लगाते गर्भगृह की ओर पहुंच रहे थे।

कोई गर्भगृह तो कोई झांकी के जरिए ही मां विंध्यवासिनी की एक झलक प्राप्त कर रहा है। गंगा किनारे शहनाई एवं नगाड़े की धुन पर लोगों ने अपने अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराया। मंदिर छत पर  बैठे साधक वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजन अनुष्ठान करने में तल्लीन दिखाई दिए।

मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं-

कोरोना के सामने लोगों की श्रद्धा भारी पड़ रही है। लोग सोशल डिस्टेंसिंग तो बिल्कुल ही भूल गए हैं। वहीं, मास्क भी नहीं लगा रहे हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाएगा।

कालीखोह व अष्टभुजा मंदिर पर भक्तों ने लगाई हाजिरी-

अष्टमी पर कालीखोह और अष्टभुजा मंदिर पहुंचकर भक्त हाजिरी लगा रहे हैं। मां विंध्यवासिनी के दर्शन और पूजन करने के बाद अधिकांश श्रद्धालु नंगे पांव ही त्रिकोण मार्ग पर निकल पड़ रहे हैं। पैदल और विभिन्न वाहनों से कालीखोह पहुंचे श्रद्धालु घंटों लाइन में लगकर मां काली का दर्शन व पूजन कर रहे हैं।

महानिशा की पूजा के लिए भैरव कुंड पर साधकों का लगा तांता-

शारदीय नवरात्रि अष्टभुजा पहाड़ पर महानिशा का पूजन करने के लिए दूर-दराज से आए साधकों का हुजूम उमड़ पड़ा है। अर्ध रात्रि में महानिशा का पूजन किया गया। वहीं राम गया घाट, भैरव कुंड, अष्टभुजा पहाड़ की कंदराओं गुफाओं में साधकों ने विधि विधान से महानिशा का पूजन किया। पहाड़ पर जगह- जगह बैठे साधक यंत्र तंत्र मंत्र के माध्यम से साधना करने में तल्लीन नजर आए।

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