सरकारी जमीन से कब्जा हटाने पहुंचे अधिकारियों को सोसायटी के अध्यक्ष ने दी धमकी

राजधानी के बीचो-बीच सेमरा कलां में बेशकीमती 22.7 एक.ड सरकारी जमीन पर पिछले दो दशकों से भू-माफिया कब्‍जा कर प्‍लाट बेच रहे थे। 1100 रुपये में यहां प्‍लाट बेचकर अवैध रूप से मकान बनाने का काम भी जारी था। इस मामले में संज्ञान लेते हुए कलेक्‍टर अविनाश लवानिया ने तत्‍काल इस जमीन पर से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए।

इसके चलते एसडीएम गोविंदपुरा मनोज वर्मा और तहसीलदार मनोज श्रीवास्‍तव सहित पुलिस और नगर निगम के अमले ने यहां अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की शुरू की। इस कार्रवाई के दौरान सामने आया कि इस जमीन की कीमत वर्तमान कलेक्‍टर गाइडलाइन के हिसाब से एक अरब रुपये से भी ज्‍यादा है जो कि वर्तमान में खसरा रिकार्ड में सरकारी दर्ज है।

अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान सैकडों की संख्‍या में लोगों ने एसडीएम सहित अन्‍य अफसरों को घेर लिया और दावा किया कि उनके पास रजिस्‍ट्री है और वे इस प्‍लाट के मालिक है। वहीं कुछ लोग जेसीबी के नीचे तक लेट गए और पेट्रोल मंगाकर आग लगा लेने की बात कहने लगे। इस पर एसडीएम ने उन्‍हें एक घंटे के अंदर रजिस्‍ट्री लाकर बताने के लिए कहा।

एक घंटे बाद भी कागज न लाने के चलते अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई। इधर, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान विश्‍वकर्मा हाउसिंग सोसायटी के अध्‍यक्ष जसविंदर सिंह भीमरा भी मौके पर पहुंचे। उन्‍होंने सीधे तौर पर एसडीएम व तहसीलदार को धमकी दी कि वे सभी को सस्‍पेंड करवा देंगे। सभी को कोर्ट में घसीटने की बात कहते हुए कागज दिखाने लगे। इस पर एसडीएम ने कहा कि अगर हम गलत कर रहे है तो आप हमारे खिलाफ कोर्ट जा सकते है।

72 लोगों को आवंटित है 4000 वर्गफीट के प्‍लाट

विश्‍वकर्मा हाउसिंग सोसायटी के अध्‍यक्ष जसविंदर सिंह ने बताया कि 1962 से 89 के बीच उनकी सोसायटी को यह जमीन आरवंटित की गई थी। जिसमें 4000 वर्गफीट के 72 प्‍लाट काटकर बेचे गए थे। 1990 से 2000 के बीच यह जमीन खसरे में सरकारी दर्ज हो गई। इस मामले को लेकर फिलहाल हाईकोर्ट में प्रकरण चल रहा है।

सात घंटे चली कार्रवाई जमकर हुआ विवाद

अरबों रूपये की सरकारी जमीन पर कब्‍जा कर मकान, दुकान और फैक्‍ट्री बनाने वाले करीब 22 अतिक्रमण कारियों के खिलाफ पूरे सात घंटे तक कार्रवाई चली। इस दौरान कई बार विवाद की स्थिति बनी। मामले में एक कांग्रेसी नेता की भी संदिग्‍ध भूमिका बताई जा रही है। हालांकि पुलिस और प्रशासन की सूझबूझ से कोई अनहोनी नहीं हुई और इस बेशकीमती जमीन को अतिक्रमण मुक्‍त करवाया गया।

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