कोरोना संक्रमण के प्रति महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा सतर्क

कोरोना संक्रमण ने पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कम प्रभावित किया है। एक अंतरराष्ट्रीय परियोजना के तहत किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं कोरोना वायरस के संबंध में जारी गाइडलाइन का ज्यादा तत्परता से पालन करती हैं। कोरोना संक्रमितों में महिलाओं की संख्या व उनकी मृत्युदर कम होने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी हो सकती है।

आठ देशों में हुआ सर्वे : यह अध्ययन आरईपीईएटी यानी रिप्रजेंटेशन, परसेप्शन एंड एटीट्यूड ऑन द कोविड-19 के तहत किया गया है। अप्रैल व मार्च, 2020 के दौरान किए गए सर्वे में ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, जर्मनी, इटली, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन व अमेरिका के 21,649 लोगों को शामिल किया गया। लेखकों ने पाया कि मनोभाव व व्यवहार के आधार पर पुरुषों व महिलाओं में काफी असमानता है।

नियमों का अधिक अनुपालन : मार्च के सर्वे में 59 फीसद महिलाओं व 48.7 फीसद पुरुषों ने कोविड-19 को गंभीर बीमारी माना, जबकि अप्रैल में ऐसा मानने वाले महिला व पुरुषों की संख्या क्रमश: 39.6 व 33 फीसद रही। सार्वजनिक नीतियों के अनुपालन, आवागमन पर प्रतिबंध तथा शारीरिक दूरी के अनुपालन के प्रति महिलाएं ज्यादा सतर्क दिखीं।

रुझान कम होने पर भी अंतर ज्यादा : व्यक्तिगत तौर पर नियमों के अनुपालन के मामले में एक समय बाद गिरावट आई, लेकिन महिलाएं तब भी आगे रहीं। जर्मनी उदाहरण हो सकता है, जहां मार्च में 85.5 फीसद महिलाएं व 81.5 फीसद पुरुष नियमों का पालन कर रहे थे, जबकि अप्रैल में इनकी संख्या क्रमश: 70.5 व 63.7 फीसद रह गई। अध्ययन में शामिल पावला प्रोफेटा कहते हैं कि सबसे बड़ी समस्या मनोभाव की थी। छींकने व खांसने के दौरान महिलाएं कोहनी आगे कर देती हैं, जिससे उनके साथ-साथ अन्य लोगों का भी बचाव होता है। हालांकि, यह सिर्फ उदाहरण भर है।

बने अलग-अलग गाइडलाइन : अमेरिका की पीएनएएस यानी प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित नए अध्ययन के सह लेखक विसेंजो गेलासो कहते हैं, ‘नीति निर्माता आवागमन कम करने, फेस मास्क का इस्तेमाल करने व व्यावहारिक परिवर्तन के संबंध में समान गाइडलाइन जारी करते हैं। हालांकि, महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग-अलग गाइडलाइन जारी करने की जरूरत है। तभी गाइडलाइन के अनुपालन के प्रति पुरुष ज्यादा सतर्क होंगे। अध्ययन में शामिल शोधकर्ता विंसेंजो व पावला प्रोफेटा इटली स्थित बोकोनी यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं और वे बोकोनी की कोविड क्राइसिस लैब का हिस्सा भी हैं।

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