आदिवासी युवती ने मुस्लिम युवक के साथ की शादी, आदिवासी सुरक्षा परिषद ने कहा- आदिवासियों का अस्तित्व खतरें में..

आज आदिवासियों के लिए एक दुखद खबर है, एक आदिवासी युवती सुजाता मुर्मू ने चेन्नई में एक अंतरजातीय मुस्लिम युवक के साथ शादी की है। एक मासूम आदिवासी लड़की लव जिहाद की भेट चढ़ गई है। शादी किसी के लिए व्यक्तिगत मामला है। आदिवासी सुरक्षा परिषद को इससे आपति नहीं है। लेकिन हमें आपत्ति इस बात की है कि आरक्षण के आधार पर नौकरी मिली है वो भी चली जाएगी। जिसका उपभोग उच्च प्रतिष्ठित समुदाय के घरवाले करेंगे और आदिवासी समाज आरक्षण का लाभ से वंचित रह जाएगा। उक्त बातें आदिवासी सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष रमेश हांसदा ने सरायकेला के आदित्यपुर आशियाना के समीप कालीमंदिर स्थित कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही।

उन्होंने कहा कि आदिवासी महिलाओं के अंतरजातीय विवाह से आदिवासियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। गैर आदिवासी केवल और केवल आदिवासी का आरक्षण का लाभ लेने के लिए किसी आदिवासी लड़की से शादी करता है। आरक्षण का लाभ आदिवासियों को जीवन स्तर उठाने के लिए भारतीय संविधान ने दिया है। यदि आरक्षित पदो पर नौकारी लेकर यदि गैर आदिवासी के साथ शादी करेंगे तो स्वाभाविक रूप से जिस प्रतिष्ठित घर में जाएंगे वहां के लोग उपभोग करेंगे।

इस भौतिक वादी युग मे अन्तरजातीय विवाह मे काफी बढ़ोत्तरी हुई है। अगर यही चलते रहा तो आदिवासियों को आरक्षण देने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। गैर आदिवासी से शादी करने के बाद वो महिला अपनी परम्परा का निर्वाह नहीं कर पाएंगी तो उसे आरक्षण के दम पर नौकरी करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। पेशा कानून के तहत देश में पंचायत चुनाव में शत प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। लेकिन पिछले पंचायत चुनाव मे सैकड़ो ऐसे  उदाहरण मिलेंगे, जिसमें मुखिया पद से जीतने के बाद वे किसी गैर आदिवासी की पत्नी हैं। यह पेशा एक्ट का खुला उल्लंघन है, सीएनटी और एसटीपी एक्ट में गैर अदीवासी जमीन नहीं खरीद सकते हैं लेकिन आदिवासी लड़की के साथ शादी कर इसका भी समाधान निकाल दिया है।

हाईकोर्ट में दाखिल करेंगे जनहित याचिका

अध्यक्ष रमेश हांसदा ने कहा कि आदिवासी सुरक्षा परिषद सुजाता मुर्मू और जहीर हुसैन की शादी को अधार बना कर रांची हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे और मांग करेंगे कि अन्तरजातीय विवाह के चलते सुजाता मुर्मू अब आदिवासी नहीं रही इसलिए उसे नौकारी से बर्खास्त कर दिया जाय। आदिवासी सुरक्षा परिषद की इसे महिलाओ को किसी भी चुनाव मे योग्य प्रत्याशी न माना जाए। केंद्र और राज्य सरकारों को कानून बनाने के लिए आदिवासी सुरक्षा परिषद दबाव बनाएगी। संवाददाता सम्मेलन मे बिना नंद सिरका, गुलशन टुडू और सावना मरांडी उपस्थित थे।

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