उत्तराखण्ड में COVID-19 के इलाज से निजी हॉस्पिटल्स ने किया किनारा

हर व्यक्ति कोरोनाकाल में जहां मदद के लिए हाथ बढ़ा रहा है, वहीं राजधानी के निजी अस्पताल अड़ियल रुख अख्तियार किए हुए हैं। कोई भी निजी अस्पताल कोरोना के इलाज में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। इससे भी गंभीर यह है कि ये अस्पताल आइपीडी में किसी मरीज के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर तुरंत ही उसे कोविड हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दे रहे हैं, फिर मरीज की स्थिति कितनी ही गंभीर क्यों न हो। शिफ्टिंग में इस जल्दबाजी से मरीजों की जान पर बन आ रही है।

जिले में कोरोना के इलाज की व्यवस्था अभी सिर्फ सरकारी अस्पतालों में है, जबकि बीते माह ही सरकार ने निजी अस्पतालों को कोरोना के इलाज की अनुमति दे दी थी। बावजूद इसके निजी अस्पतालों की ओर से इस दिशा में अभी तक कोई पहल नहीं हुई है। फिलवक्त दून मेडिकल कॉलेज, एम्स ऋषिकेश और सेना के अस्पताल में ही कोरोना संक्रमितों का उपचार किया जा रहा है। निजी अस्पताल में कोई मरीज कोरोना पॉजिटिव आता है तो उसे इलाज के लिए अधिकृत सरकारी अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। सामान्य मरीजों को तो इस शिफ्टिंग में कोई परेशानी नहीं होती, मगर किसी मरीज को आइसीयू से हटाकर एंबुलेंस के जरिये दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करना बड़ी चुनौती होता है। कोविड हॉस्पिटल पहुंचते-पहुंचते उनकी सांसें उखड़ने लगती हैं। सीएमओ डॉ. बीसी रमोला का कहना है कि ज्यादातर निजी अस्पतालों ने कोरोना के उपचार में रुचि नहीं दिखाई है। सभी अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों की स्थिति सामान्य होने पर ही उन्हें कोविड हॉस्पिटल शिफ्ट किया जाए, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।

लॉकडाउन में भी बंद रहे ज्यादातर अस्पताल

कोरोना के शुरुआती चरण से ही निजी अस्पताल अड़ियल रवैया अपनाए हुए हैं। लॉकडाउन में भी कुछ बड़े अस्पताल व नìसग होम ही खुले रहे। इस कारण खुद मुख्यमंत्री को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बैठक बुलानी पड़ी। सरकार ने अनुरोध किया कि मरीजों की सहूलियत के लिए अस्पताल खोले जाएं, फिर भी ज्यादातर अस्पताल बंद ही रहे।

जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि निजी अस्पताल यदि एसिम्टोमैटिक मरीजों को रेफर कर रहे हैं तो यह चिंता की बात नहीं है। मगर, सिम्टौमैटिक व गंभीर रूप से बीमार कोरोना संक्रमितों को रेफर करना उचित नहीं है। स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

डॉ. रूपा हंसपाल (सचिव, आइएमए, दून शाखा) का कहना है कि आइएमए पदाधिकारियों की शनिवार को इस मसले पर सरकार की ओर से नामित नोडल अधिकारी के साथ बैठक हुई है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि जो अस्पताल कोविड-19 के उपचार के मानक पूर्ण करते हैं, वह इलाज कर सकते हैं। छोटे अस्पतालों में संसाधन उस मुताबिक नहीं हैं, मगर बड़े अस्पतालों में जरूर व्यवस्था हो सकती है। बताया गया है कि सरकारी अस्पतालों में अभी पर्याप्त बेड हैं। सरकारी अस्पतालों में बेड कम पड़ेंगे तो निजी अस्पतालों में भी व्यवस्था की जाएगी।

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