6 अगस्त को है कजरी तीज, जानिए पूजा की विधि

कजरी तीज का पर्व आने में कुछ ही समय बचा है. जी हाँ, आप सभी को बता दें कि यह पर्व भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाते हैं. ऐसे में आप जानते ही होंगे कजरी तीज को कजली तीज भी कहते हैं. इसके अलावा इसे बूढ़ी तीज या सातूड़ी तीज भी कहते हैं. यह पर्व उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार में मनाते है. आपको बता दें कि इस बार कजरी तीज का पर्व 6 अगस्त गुरूवार को मनाया जाने वाला है.

कजरी तीज का शुभ मुहूर्त –

तृतीया आरम्भ- 5 अगस्त को रात 10 बजकर 52 मिनट से

तृतीया समाप्त- 7 अगस्त को रात 12 बजकर 16 मिनट पर

कजरी तीज का महत्व – कजरी तीज का पर्व सुहागन महिलाओं का प्रमुख पर्व माना जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं वह भी अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए. मान्यता है कि इस दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को अपनी कठोर तपस्या से प्राप्त किया था. कहा जाता है इस दिन संयुक्त रूप से भगवान शिव और पार्वती की उपासना करने से लाभ होता है. ऐसा अगर कुंवारी कन्या करे तो अच्छा वर प्राप्त होता है. इसी के साथ सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है.

कजरी तीज की पूजा विधि – इस दिन सबसे पहले नीमड़ी माता को जल, रोली और चावल चढ़ाएं. नीमड़ी माता को मेंहदी और रोली लगा दे. अब इसके बाद नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ा दे. इसके बाद फल और दक्षिणा चढ़ा दे और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगा दे और लच्छा बांधें. अब पूजा स्थल पर घी का बड़ा दीपक जलाएं और मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना शुरू कर दे. अब इसके बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान कर दे और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर ले.

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