तीन तलाक कानून का एक साल: जुल्म से लड़ने का हौसला आया तो दिखने लगा जिंदगी का सूरज

अब से एक साल पहले मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण कानून लागू हुआ तो तीन तलाक पीड़िताओं को मानो जिंदगी जीने का अधिकार भी मिला। वे जिल्लत भरी जिंदगी से निकल अपने अधिकारों की लड़ाई को सामने आईं। आज इनमें से कई स्वाभिमान भरी जिंदगी जी रही हैं।

जो बेटियां थीं तलाक की वजह, वही आज मां का अभिमान: सहारनपुर के मोहल्ला आली की चुंगी निवासी 37 वर्षीय आतिया साबरी को उनके पति ने इसलिए तलाक दिया था कि उनके दो बेटियां थीं। तलाक के बाद मेरे सामने दो रास्ते थे, एक था अधिकारों के लिए लड़ने का, दूसरा चुप बैठ जाने का। मासूम बेटियों सदा और सानिया का चेहरा सामने था, सो मैंने लड़ने का फैसला किया। तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ने वाली आतिया साबरी आज संतुष्ट हैं।

कहती हैं कि मेरी बेटियां मेरा अभिमान हैं। इन्हें ही पढ़ा लिखाकर अफसर बनाऊंगी। अपने पिता के घर रह रहीं आतिया ने बताया कि उनकी दोनों बेटियां अच्छे स्कूल में पढ़ रही हैं। यदि तब मैं सोच लेती कि मुस्लिम औरत हूं, लड़ाई नहीं लड़ सकती तो जीत का मुंह न देख पाती। कहा कि कानून बनने से महिलाओं का खोया सम्मान लौट रहा है। आतिया साबरी ने अपने ससुरालीजनों के खिलाफ तीन मामले दर्ज कराए हुए हैं।

ससुरालियों ने सितम ढाया, पर हौसला न हारी दो बहन: ये मथुरा की उन दो हिम्मती बहनों की दास्तान है, जो एक ही घर में ब्याही गईं। उन पर ससुराल वालों ने सितम ढाया और जिंदगी दूभर कर दी लेकिन उन्होंने हौसला न छोड़ा। मजदूरी करके तीन तलाक का मुकदमा लड़ रही हैं। मथुरा के कोसीकलां के कृष्णा विहार कॉलोनी में रहने वाली फाता ने 10 दिसंबर, 2017 को अपनी दो बेटी जुमिरत और सन्नो का निकाह नूह (हरियाणा) के गांव चोखा निवासी सगे भाई इकराम और सोहेल से किया था। छोटी बहन सन्नो महज एक बार ससुराल गई, फिर उसे लेने ही नहीं आए। बड़ी बहन जुमिरत को एक लाख रुपये और बाइक मांगकर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।

छह माल बाद उसे भी मायके छोड़ गए। बेटियों की परेशानी देख मां फाता ने महिला थाने में गुहार लगाई। 30 जुलाई, 2019 को जुमिरत का पति इकराम अपने पिता बहाव के साथ महिला थाने पहुंचा और थाने के अंदर ही मारपीट के बाद तीन बार तलाक बोलकर चला गया। जिस दिन देश में तीन तलाक कानून लागू हुआ, उसी दिन यानी एक अगस्त, 2019 को फाता की तहरीर पर इकराम, सोहेल, ससुर बहाव, गफ्तार चचिया ससुर, पप्पू ममिया ससुर और सास मदीना के खिलाफ तीन तलाक का मामला दर्ज हुआ। यह देश में तीन तलाक का पहला मुकदमा था।

अफसरजहां ने तोड़ीं बेड़ियां, निदा ने जगाई संघर्ष की अलख: बरेली के शेरगढ़ की अफसरजहां निकाह के बाद छह साल तक शौहर के साथ तो रहीं मगर हर दिन प्रताड़ना में बीता। 2019 में शौहर ने दूसरा निकाह कर लिया। अफसरजहां पाबंदियों की बेड़ियों में जकड़कर थमी नहीं। आवाज उठाई, थाने पहुंचीं और बेघर करने वाले पति को जेल भेजवाया। मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण कानून बनने के बाद तीन तलाक लेने के मामले में पिछले साल आठ अगस्त को यह प्रदेश में पहली गिरफ्तारी थी।

बरेली की निदा तो जुल्म के खिलाफ संघर्ष की मिसाल बनी। निदा की शादी पांच साल पहले आला हजरत के परिवार से जुड़े शीरान रजा से हुई थी। तीन साल पहले शीरान ने निदा को तलाक दिया तो आला हजरत फाउंडेशन बनाकर वह तीन तलाक पीड़िताओं की आवाज उठाने लगीं। इसी तरह फरहत नकवी मेरा हक फाउंडेशन के जरिये तलाक पीड़िताओं को न्याय दिलाने के लिए डट गईं। इन महिलाओं की हिम्मत ने औरों में भी हौसला भरा और 18 जुलाई 2018 को किला क्षेत्र की महिला की ओर से हलाला करने पर ससुर के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया गया। यह पहला मौका था जब किसी मुस्लिम महिला ने हलाला पर दुष्कर्म की रिपोर्ट लिखाई।

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