आइये जानते WMCC क्या है, भारत-चीन सीमा के बीच विवाद मुद्दों से क्‍या है इसका ताल्‍लुक

भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर कई विवादित मुद्दे है। इनको लेकर दोनों देशों के बीच गतिरोध साफतौर पर नजर भी आता रहा है। बात चाहे हाल ही खत्‍म हुए गलवन घाटी विवाद की हो या फिर तीन वर्ष पहले हुए डोकलाम विवाद की, जो करीब 73 दिनों तक चला था। इस दौरान दोनों ही सेनाएं आमने-सामने डटी रही थीं, लेकिन बाद में भारत के कूटनीतिक और रणनीतिक दबाव के बाद आखिरकार चीन को अपने पांव पीछे खींचने पड़े थे। इस तरह के एक नहीं कई मुद्दे चीन की तरफ से बार-बार उठाए जाते रहे हैं। चीन की तरफ से उठाए गए ये मु्द्दे लगभग सीमा विवाद से ही संबंधित रहे हैं।

आपको बता दें कि हाल में ही गलवन वैली में हुए विवाद की भी रूपरेखा चीन ने इसी आधार पर तैयार की थी। चीन भारत के कई इलाकों पर अपना हक बताता रहा है। यही वजह है कि वो लगातार विवादों को जन्‍म देता है जिसके चलते दोनों देशों के बीच तनाव व्‍याप्‍त होता है। इसी तरह के विवादित मुद्दों को सुलझाने के लिए एक ऐसा तंत्र स्‍थापित करने की योजना बनाई गई जिनसे इनका समाधान किया जा सके और तनाव से बचा जा सके। इसी तंत्र को डब्‍ल्‍यूएमसीसी का नाम दिया गया था।

वर्ष 2012 में भारत-चीन सीमा पर शांति बनाए रखने के उद्देश्य से ही संपर्क एवं समन्वय के लिए संस्थागत तंत्र के रूप में वर्किंग मैकेनिज्‍म फॉर कंसलटेशन एंड कॉर्डिनेशन (Working Mechanism for Consultation and Coordination, WMCC) की स्थापना की गई थी। सीमा पर बार-बार अतिक्रमण से उपजने वाले तनाव से निपटने के लिए इसको स्थापित किया गया था। इसकी स्‍थापना के दौरान दोनों देशों के बीच सीमा सुरक्षाकर्मियों के बीच संवाद और सहयोग को मजबूत बनाए रखने के विचार को भी ध्यान इसमें रखा गया। जून 2017 में जब चीन ने डोकलाम में अवैध रूप से सड़क निर्माण के लिए अपने सैनिकों के साथ मिलकर कदम बढ़ाया था तब भारतीय जवानों ने उन्‍हें ऐसा करने से रोक दिया था। इसके बाद चीन ने दावा किया कि वो अपने भूभाग पर सड़क निर्माण कर रहा है।

चीन के इस दावे की भारत ने तथ्‍यों के आधार पर धज्जियां उड़ा दी थीं। दोनों देशों के सैन्‍य अधिकारियों और कूटनीतिज्ञों के बीच चली कई दौर की वार्ताओं के बाद अगस्‍त में ये विवाद खत्‍म हो गया था। इस विवाद के करीब ढाई माह बाद बीजिंग में डब्‍ल्‍यूएमसीसी की बैठक हुई। इसमें भारत और चीन के बीच पहली बार पहली बार इस मुद्दे पर बातचीत हुई थी। इस बैठक में भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्व एशिया) प्रणय वर्मा शामिल हुए थे और चीन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व एशियाई मामलों के विभाग के महानिदेशक शिआओ किआन ने नेतृत्व किया था।

विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक 22 मार्च 2018 को भी दोनों देशों के बीच स्‍थापित वर्किंग मैकेनिज्‍म फॉर कंसलटेशन एंड कॉर्डिनेशन की 11वीं बैठक नई दिल्‍ली में हुई थी। इसमें दोनों देशों की सीमाओं के मुद्दों को लेकर बातचीत की गई थी। इसमें भी प्रणय वर्मा ने भारतीय दल का नेतृत्‍व किया था जबकि चीन की तरफ से इसमें विदेश मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ बाउंडरी एंड ओसियन अफेयर्स के डायरेटक्‍र जनरल यी शियानलियांग शामिल हुए थे।

दोस्‍ताना माहौल के बीच हुई इस वार्ता में दोनों ही तरफ से इस तंत्र को और अधिक मजबूत करने के बारे में विचारों का आदान प्रदान किया गया था। इस दौरान सीमा पर शांति बनाए रखने और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के और अधिक विकास आवश्यकता पर जोर दिया गया था। इस बैठक में दोनों देशों के बीच विश्‍वास कायम करने और बढ़ाने को लेकर भी के लिए विचारों का आदान प्रदान किया गया था। इसके अलावा दोनों देशों की सेनाओं की बीच बेहतर समझ और लगातार वार्ता को जारी रखने पर भी बातचीत हुई थी। चीन के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्‍ध जानकारी के मुताबिक इसके बाद 27-28 सितंबर में दोबारा दोनों देशों के अधिकारी चीन के चेंगदू शहर में मिले थे।

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