मोटा मुनाफा कमाने और खुफिया सूचना हथियाने वाले चीनी एप्स

भारत में 59 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सीधे शब्दों में कहें तो इन एप्स पर संवेदनशील जानकारी की जासूसी करने, निजता से समझौता, भारतीय हितों के लिए खुले तौर पर दुष्प्रचार और जिसके कारण राष्ट्रहित को खतरा पैदा होने का आरोप है। ऐसे में सरकार का यह कदम कई मायनों में सही लगता है, हालांकि कई देश पहले ही चीन और चीन के एप्स को लेकर अपनी चिंता जता चुके हैं। ऐसे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के जरिए जानते है कि कैसे चीन इन एप्स के जरिए न सिर्फ मोटा मुनाफा कमाता है बल्कि खुफिया जानकारियां भी जुटाता है।

डाटा एकत्रित कर रही है सीपीसी

भारत चीन के एप्स पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश हो सकता है, लेकिन चीन की कंपनियों द्वारा निर्मित एप्स की गोपनीयता और सुरक्षा के बारे में चिंताओं को उठाने वाला पहला देश नहीं है। कुछ समय पूर्व ही अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा था कि चीन की सभी कंपनियों ने अपने वैचारिक और भू-राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के हथियार के रूप में कार्य किया है। रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा कि सीपीसी आपका सबसे अंतरंग डाटा एकत्र कर रहा है। उन्होंने कहा कि आपके शब्द, कार्य, खरीदारी, आप कहां हैं, स्वास्थ्य रिकॉर्ड, सोशल मीडिया पोस्ट के साथ आपके दोस्त, परिवार और परिचितों की मैपिंग करने में जुटा है। इस डाटा को हासिल करने के लिए वे पिछले दरवाजों का इस्तेमाल करते है।

दो साल से पहले से हो रही मांग

59 चीनी एप पर प्रतिबंध लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-चीन सैन्य तनाव के मध्य लगाया गया है। लेकिन इन 59 एप पर प्रतिबंध लगाने का फैसला विशेष रूप से सैन्य तनाव से जुड़ा नहीं है। यह कदम बहुत पहले शुरू हुआ था। चीन की सेना अभी तक एलएसी की ओर नहीं बढ़ रही है और वहां की यथास्थिति को बदलने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है। करीब दो वर्षों से सरकार की विभिन्न साइबर सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियां और खुफिया इकाइयां चीन के कुछ एप्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। उन्हें संदेह था कि ये एप्स भारत के युवा बाजार में प्रवेश के लिए जानकारी चुरा रहे थे और सामग्री को सेंसर कर विचारों को एक सांचे में ढालने की कोशिश कर रहे थे। गलवन की झड़प से एक महीने पहले सरकार ने जानकारी चुराने वाले एप्स के खतरों के बारे में चेतावनी जारी की थी। लोगों के बीच इन एप्स के प्रति जागरूकता के लिए यह अहम एडवायजरी थी। 16 अप्रैल को वर्चुअल मीटिंग एप ज़ूम को लेकर उठ रहे सवालों पर एडवाइजरी जारी की गई थी।

चनफिंग की विचारधारा बढ़ाने में इस्तेमाल

अमेरिका की सरकार द्वारा वित्त पोषित निकाय ओपन टेक्नोलॉजी फंड (ओटीएफ) ने बताया है कि चीन की सरकार वहां प्रचार के लिए स्मार्टफोन एप का उपयोग कर रही है। रेड फ्लैग स्टडी द ग्रेट नेशन एप चीन के बारे में बुनियादी जानकारी पेश करता है। लेकिन ओटीएफ का कहना है कि यह एप चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की विचारधारा को बढ़ावा देता है। दिलचस्प बात यह है कि इस एप के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला चीनी शब्द शी चिनफिंग का पारिवारिक नाम है।

इस तरह काम करेगा प्रतिबंध

इन एप्स को आइओएस और एंड्रॉयड प्लेटफॉम्र्स से हटाने के लिए सरकार आदेशित करेगी। फिर वहां से कोई भी इसे डाउनलोड नहीं कर सकेगा। इसके बाद जिन लोगों के फोन में ये एप्स मौजूद हैं उन्हें बंद करवाने के लिए इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को डाउनलोड एप की सर्विस खत्म करने के आदेश जारी करने होंगे।

40 फीसद चीन के स्मार्टफोन एप

साइबर सुरक्षा फर्म रिस्कआइक्यू के अनुसार, साइबर स्पेस में करीब 90 लाख स्मार्ट फोन एप मौजूद हैं। इनमें से करीब 40 फीसद चीनी हैं। फर्म का कहना है कि 2019 में 200 अरब बार मोबाइल एप डाउनलोड किए गए हैं। पैसे के मामले में उन्होंने 120 अरब डॉलर खर्च किए हैं। इस तरह से आनुपातिक हिस्सेदारी का अर्थ है कि चीन को 2019 में इन एप के डाउनलोड से ही 48 अरब डॉलर का फायदा हुआ है।

5जी तकनीक को लेकर भी सवाल

चीनी एप्स के बारे में सुरक्षा की चिंता हुआवे 5जी तकनीक पर आरोपों के साथ बढ़ी। 2017 में अमेरिका और ब्रिटिश खुफिया रिपोर्टों ने हुवावे की 5 जी तकनीक को चीन की सेना और सीपीसी के राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग के साथ जोड़ा। ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे कई देशों ने हुवावे के 5जी उपकरणों के उपयोग पर सख्त प्रोटोकॉल अपनाया। कुछ देशों ने भारत को तब भी चेतावनी दी थी जब उसने 5जी परीक्षणों में हुवावे को अनुमति दी थी।

विदेशी एप्स पर प्रतिबंध

चीन के मोबाइल एप्स की बढोतरी के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण शी चिनफिंग शासन में विदेशी एप्स पर प्रतिबंध है। चीन में गूगल, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, नेटफ्लिक्स, यूट्यूब, बीबीसी, द न्यूयॉर्क टाइम्स और यहां तक की कोरा जैसे दुनिया में लोकप्रिय एप भी प्रतिबंधित है। इससे चीन की कंपनियां पूर्व प्रतिस्पद्र्धा से बची रहती हैं। यह चीन के एप्स को वैश्विक साइबर स्पेस में विकसित होने का मौका देता है। 2017 में, चीन ने एक कानून पारित किया था, जो दुनिया भर में कहीं भी संचालित होने वाली चीन की कंपनी के लिए यह अनिवार्य बनाता है कि वे ऐसी सभी जानकारियां एकत्रित करें, जिन्हें खुफिया के रूप में वर्गीकृत किया जा सके।

विदेशी एप्स पर प्रतिबंध

चीन के मोबाइल एप्स की बढोतरी के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण शी चिनफिंग शासन में विदेशी एप्स पर प्रतिबंध है। चीन में गूगल, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, नेटफ्लिक्स, यूट्यूब, बीबीसी, द न्यूयॉर्क टाइम्स और यहां तक की कोरा जैसे दुनिया में लोकप्रिय एप भी प्रतिबंधित है। इससे चीन की कंपनियां पूर्व प्रतिस्पद्र्धा से बची रहती हैं। यह चीन के एप्स को वैश्विक साइबर स्पेस में विकसित होने का मौका देता है। 2017 में, चीन ने एक कानून पारित किया था, जो दुनिया भर में कहीं भी संचालित होने वाली चीन की कंपनी के लिए यह अनिवार्य बनाता है कि वे ऐसी सभी जानकारियां एकत्रित करें, जिन्हें खुफिया के रूप में वर्गीकृत किया जा सके।

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