करीब 76 साल से त्याग रखा था अन्न जल, 88 साल की उम्र में ली अंतिम सांस…
करीब 76 साल से अन्न जल त्यागकर एक तपस्वी का जीवन बिता रही चुंदडी वाले माताजी (Chundri wale Mataji) ने बीती रात अपने गांव चराडा में अंतिम सांस ली। उनका मूल नाम प्रह्लाद जानी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बाला साहब ठाकरे जैसी हस्तियां उनकी प्रशंसक रही हैं। कई दशकों से अन्न जल त्यागकर वे विज्ञान जगत के लिए भी एक चुनौती बन गए।
88 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
पालनपुर अंबा माताजी मंदिर के पास गब्बर पर्वत पर आश्रम बनाकर पिछले कई सालों से रह रहे चुंदडी वालेे माताजी ने 88 साल की उम्र में बीती रात करीब 2 बजे अंतिम सांस ली। प्रह्लाद जानी 11 साल की उम्र से साधना में लीन थे। योग, प्राणायाम की शक्ति से वे बिना कुछ खाये-पिये बीते 76 साल से जिंदा रहकर विज्ञान जगत को भी चुनौती दे रहे थे। 26 व 27 मई को उनका पार्थिव देह अंबाजी में जनता के दर्शनों के लिए रखा जाएगा उसके बाद 28 मई को उनके शव को समाधि दी जाएगी।
लाल सुर्ख कपड़े, नाक में नथनी हाथों में कंगन
लाल सुर्ख कपड़े, नाक में नथनी व हाथों में चूड़ियां व कंगन ही चुंदडी वाले माताजी की पहचान बन गई। 20 से 25 लोगों के परिवार के मुखिया प्रह्लाद जानी बचपन से अध्यात्म में रुचि रखते थे और जवान होने से पहले ही सांसारिक माया मोह से दूर रहते हुए अंबाजी में गब्बर पर्वत पर अपनी साधना का एक केंद्र बना लिया था। अहमदाबाद, मुंबई के कई नामी अस्पतालों में उनके लगातार 76 साल से अन्न व जल त्यागकर जीवित रहने पर पर कई शोध किये गए, लेकिन विज्ञान उनकी ऊर्जा का स्रोत नहीं जान सका। चुंदडी वाली माताजी का अन्न जल बिना जीवित रहना विज्ञान के लिए एक पहेली था और पहेली रहेगा।
कई जानी-मानी हस्तियां बनी उनकी मुरीद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शिवसेना के सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे, अभिनेता अक्षय कुमार सहित कई जानी-मानी हस्तियां उनकी मुरीद हैं। गांधीनगर जिले की माणसा तहसील का चराडा गांव उनका पैतृक निवास है, लेकिन कई दशकों से अंबाजी ही उनकी साधना का केंद्र रहा। माताजी ने 88 साल की उम्र में बीती रात करीब 2 बजे अंतिम सांस ली। प्रहलाद जानी 11 साल की उम्र से साधना में लीन थे, योग, प्राणायाम की शक्ति से वे बिना कुछ खाये-पिये बीते 76 साल से जिंदा रहकर विज्ञान जगत को भी चुनौती दे रहे थे। 26 व 27 मई को उनका पार्थिव देह अंबाजी में जनता के दर्शनों के लिए रखा जाएगा उसके बाद 28 मई को उनके शव को समाधि दी जाएगी।
जीवित रहना विज्ञान के लिए बना पहेली
लाल सुर्ख कपड़े, नाक में नथनी व हाथों में चूड़ियां व कंगन ही चुंदडी वाले माताजी की पहचान बन गई्। 20 से 25 लोगों के परिवार के मुखिया प्रह्लाद जानी बचपन से अध्यात्म में रुचि रखते थे और जवान होने से पहले ही सांसारिक माया मोह से दूर रहते हुए अंबाजी में गब्बर पर्वत पर अपनी साधना का एक केंद्र बना लिया था। अहमदाबाद, मुंबई के कई नामी अस्पतालों में उनके लगातार 76 साल से अन्न व जल त्यागकर जीवित रहने पर पर कई शोध किये गए, लेकिन विज्ञान उनकी ऊर्जा का स्रोत नहीं जान सका।
चुंदडी वालेे माताजी का अन्न जल बिना जीवित रहना विज्ञान के लिए एक पहेली था और पहेली रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शिवसेना के सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे, अभिनेता अक्षय कुमार सहित कई जानी-मानी हस्तियां उनकी मुरीद हैं। गांधीनगर जिले की माणसा तहसील का चराडा गांव उनका पैतृक निवास है, लेकिन कई दशकों से अंबाजी ही उनकी साधना का केंद्र रहा।