बेटी ने घायल पिता को साइकिल पर बैठा नाप दी 1200KM की दूरी, ये है दोनों के प्यार की ये अनोखी कहानी

बेटियां पिता का मान-सम्मान होती हैं तो वहीं बेटी के लिए एक पिता उसकी जिंदगी के सबसे पहले  हीरो होते हैं। बेटी और बाप के प्यार की एक कहानी जो आज सबकी जुबां है और जिसकी चर्चा  अमेरिका में भी हो रही है। एक 15 साल की बेटी घायल पिता को अपनी पुरानी सी साइकिल पर बैठाकर दिल्ली से दरभंगा पहुंच गई। पिता मोहन पासवान का कहना है कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है तो वहीं बेटी का कहना है कि मैं अपने पिता की बेटी नहीं, बेटा हूं।

बिहार के एक छोटे से गांव की बेटी दरभंगा के ज्योति कुमारी की हौसले की चर्चा आज हर जगह हो रही है। देश ही नहीं विदेश में भी, यहां तक की अब अमेरिका भी पहुंच गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने बिहार के दरभंगा जिले के सिरहुल्ली गांव की 15 साल की लड़की ज्योति के संघर्ष को सराहा है।

सिरहुल्ली गांव की ज्योति लॉकडाउन में पिता को लेकर साइकिल से गुरुग्राम से दरभंगा पहुंच गई। 12 सौ किमी के इस संघर्षपूर्ण सफर को उसने जिस हौसले के साथ पूरा किया है वो सराहनीय है।

पिता को पुरानी साइकिल पर बैठाकर दिल्ली से दरभंगा ले आई 

ज्योति के पिता गुरुग्राम में रहकर ऑटो चलाते थे। सड़क दुर्घटना में उनके घायल होने के बाद वह 30 जनवरी को मां के साथ गुरुग्राम गई थी। मां के गांव आने के बाद वह पिता की सेवा में लगी रही। इसी बीच मार्च के तीसरे सप्ताह में लॉकडाउन हो गया।

 

कुछ दिनों में जमा-पूंजी खर्च हो गई तो कोई रास्ता न देख ज्योति ने साइकिल से घर लौटने का फैसला किया। पिता ने ज्योति की जिद पर पांच सौ में पुरानी साइकिल खरीदी। दिव्यांग पिता को उस पर बैठाकर 10 मई की रात गुरुग्राम से घर के लिए निकली। आठ दिन में घर पहुंची तो आस-पड़ोस के लोग दंग रह गए थे।

ज्योति के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं

कमतौल क्षेत्र के सिरहुल्ली गांव निवासी मोहन पासवान की बेटी ज्योति के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। मां फूलो देवी आंगनबाड़ी में सहायिका हैं। साथ ही खेतों में काम करती हैं। पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर की ज्योति पैसे के अभाव में आठवीं की पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुकी है। लेकिन, गुरुग्राम से आने के बाद उसकी दुनिया बदल गई है।

भारतीय साइकिलिंग महासंघ के पदाधिकारियों का दिल्ली में आकर ट्रायल देने का फोन आने के बाद उसके घर में खुशी का माहौल है। ज्योति कहती है, साइकिलिंग के बारे में कभी सोचा नहीं था। लेकिन, अब इसके लिए पूरी मेहनत करूंगी। साइकिलिंग के जरिये सपना पूरा करने के साथ गांव का नाम रोशन करूंगी।

मां फूलो देवी ने बताया कि बेटी ने बड़ा काम किया है। उसने हौसला बढ़ाया है। कभी सोचा नहीं था कि लोग मदद के लिए आएंगे। ज्योति के पिता के क्वारंटाइन सेंटर से घर आने का इंतजार है।

राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए किया जाएगा तैयार

जिला साइकिलिंग संघ के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने बताया कि ज्योति के बारे में जानकारी मिली है। संघ हर संभव मदद करेगा। उसे राज्य स्तर पर ट्रेनिंग देकर राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जाएगा।

जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने बताया कि सदर एसडीओ उसके घर गए थे। इंदिरा आवास के तहत मकान बना है। यदि ज्योति की पढ़ाई में किसी प्रकार की समस्या आती है तो जिला प्रशासन हरसंभव मदद करेगा।

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