Coronavirus Treatment: बंदरों पर हुए दो प्रयोगों से बढ़ गई कोरोना वायरस के प्रभावी वैक्सीन की उम्मीद

 Coronavirus Treatment, बंदरों पर हुए दो प्रयोगों से कोरोना वायरस के प्रभावी वैक्सीन की उम्मीद बढ़ गई है। बंदरों पर किए गए प्रयोग में पहली बार यह सामने आया है कि कोविड-19 से ठीक होने के बाद शरीर में ऐसी इम्यूनिटी पैदा हो सकती है, जिससे व्यक्ति दोबारा संक्रमण में आने से बचा रहता है। इससे टीकों के सफल होने की उम्मीद बढ़ गई है। इनमें से एक अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने नौ बंदरों को कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस से संक्रमित किया। इस बीमारी से ठीक होने के बाद दोबारा वायरस के संपर्क आने पर बंदर बीमार नहीं हुए।

शोध में क्या आया सामना ?

शोधकर्ता डॉ. डैन बैरोच ने कहा कि बंदरों में एक प्राकृतिक इम्यूनिटी पैदा हो गई, जिसने उन्हें दोबारा संक्रमण से बचाया। दूसरे अध्ययन में बैरोच और उनके साथियों ने 25 बंदरों पर छह वैक्सीन प्रोटोटाइप का प्रयोग किया। इसके बाद इन 25 बंदरों और 10 अन्य बिना वैक्सीन वाले बंदरों को वायरस के संपर्क में लाया गया। बिना वैक्सीन वाले बंदरों के शरीर में वायरस का गहरा संक्रमण देखने को मिला, वहीं वैक्सीन वाले बंदर काफी हद तक सुरक्षित रहे। वैक्सीन वाले आठ बंदर वायरस से पूरी तरह बचे रहे।

डॉ. बैरोच ने कहा कि अभी इन नतीजों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि मनुष्यों के शरीर में भी ऐसी कोई इम्यूनिटी पैदा हो जाती है या नहीं, लेकिन इन नतीजों ने इस दिशा में उम्मीद जरूर बढ़ा दी है।

इस बीच अमेरिकी कंपनी इनोवियो फॉर्मास्युटिकल्स ने भी दावा किया है कि उसका बनाया हुआ एक टीका चूहों और गिनी पिग पर कारगर पाया गया है। इस समय कई फार्मा कंपनियां टीका विकसित करने की दिशा में काम कर रही हैं। जानकारों का कहना है कि एक प्रभावी और सुरक्षित टीका बनने में एक से डेढ़ साल तक का वक्त लग सकता है।

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