ये है शनिवार को शनिदेव की पूजा करने का सही तरीका….

 शनिदेव की महिमा अपरंपार है। शनिदेव धर्म और न्याय के देवता कहे जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जिन पर शनि देव की कृपा होती है, उनके जीवन में मंगल ही मंगल होता है। वहीं, जिन लोगों से शनि देव अप्रसन्न होते हैं, उनके जीवन में बहुत कठिनाई आती हैं। अगर आप भी जीवन में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना कर रहे हैं तो  शनिदेव की आराधना से अपने दुखों से निजात पा सकते हैं। ऐसे में हम आपको शनिदेव की पूजा के तरीके बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप न केवल शनि की साढ़े साती से बच सकते हैं बल्कि जीवन में सभी प्रकार की कठिनाई से निजात पा सकते हैं। आइए जानते हैं…

शनि मंत्र का जाप कम से कम 11 बार जरूर करें

पूजा विधिशनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान-ध्यान से निवृत होकर सबसे पहले पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं। इसके बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद शनि देवता को पंच अमृत से स्नान कराएं। अब कलश स्थापित करें  और फिर शनिदेव की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, काले तिल, काले वस्त्र चढ़ाकर करें। पूजा के समय शनि चालीसा का पाठ जरूर करें। साथ ही शनि मंत्र का जाप कम से कम 11 बार जरूर करें।

नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम|

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम |

शनि देव के दस नामों का स्मरण करें

इसके बाद शनि देव के दस नामों का स्मरण करें। बभ्रु, मंद, शनैश्चर, सौरि, यम, पिंगलो, कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला।

अब पीपल के वृक्ष की धागे से सात बार परिक्रमा करें। फिर शनिदेव से प्रार्थना और याचना करें। हे शनि देव काल हरो, कष्ट हरो, दुख हरो।  साथ ही परिवार की सुख शांति और समृद्धि के लिए हनुमान जी की याचना भी जरूर करें। ऐसा कहा जाता है कि शनिवार के दिन शनिदेव और हनुमान जी की एक साथ पूजा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके बाद पूजा सम्पन्न कर 5 गरीबों को भोजन कराएं। इसके बाद भोजन ग्रहण करें।

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