मध्य प्रदेश की निमाड़ मिर्च चीन, पाकिस्तान, मलेशिया और सऊदी अरब तक जा रही

देशभर में मशहूर मध्य प्रदेश के निमाड़ की मिर्च वायरस को चकमा देकर एक बार फिर उठ खड़ी हुई और निमाड़ के सैकड़ों गांवों में किसानों के खेत, खलिहान और आंगनों को सुर्ख लाल कर रही है।

भरपूर पैदावार और 150 से 200 रुपये किलो तक के भाव ने कई किसानों को मालामाल बना दिया है। मिर्च ने निमाड़ की मिर्च मंडियों में भी रौनक भर दी है। चीन, पाकिस्तान, मलेशिया और सऊदी अरब तक जा रही है।

इसीलिए मिर्च के अर्थतंत्र से उत्साहित राज्य सरकार ने 29 फरवरी से 1 मार्च को निमाड़ के कसरावद में मिर्च महोत्सव मनाने की तैयारी की है। निमाड़ सहित समूचे मध्य प्रदेश में प्रतिकूल मौसम की मार से कपास का उत्पादन 40 फीसद कम हुआ।

इससे कपास उत्पादक किसान संकट में आ गए, लेकिन जिन किसानों ने मिर्च बोई थी, उनकी किस्मत खुल गई। चार-पांच साल पहले जिस लीफकर्ल वायरस ने निमाड़ में मिर्च के खेतों का सफाया कर दिया था, इस साल उसी वायरस को मिर्च ने चकमा दे दिया और बंपर पैदावार हुई।

खरगोन जिले के अवरकच्छ गांव के राजेंद्र कन्हैयालाल ने इस साल 17 एकड़ में मिर्च बोई है। वे बताते हैं कि अब तक हरी और लाल मिलाकर करीब 60 लाख रुपये की मिर्च बेच चुके हैं और उत्पादन जारी है। भाव ठीकठाक रहे तो आंकड़ा एक करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है।

मरदाना गांव के किसान सालिगराम चौधरी के 20 एकड़ रकबे में करीब 1 करोड़ रुपये की मिर्च आ चुकी है और पैदावार जारी है। बेड़िया की रोहिणी दादूराम भी मिर्च का बेहतर उत्पादन करती हैं।

खरगोन जिले का घुघरियाखेड़ी गांव इस समय मिर्च उत्पादन में सबसे अव्वल है। गांव के किसान गोविंद यादव बताते हैं कि इस साल गांव में 2500 एकड़ में मिर्च बोई गई है। कई किसानों के यहां एक एकड़ पर 3-4 लाख रुपये की मिर्च भी पैदा हुई है।

कसरावद, सनावद, भीकनगांव क्षेत्र के झिरन्या, कालदा, बोरूद, सिराली, मरदाना, बामंदी, खामखेड़ा, ऊन, सेगांव, केली जैसे गांवों में कई किसान मिर्च उत्पादन के रोल मॉडल बन चुके हैं।

मिर्च महोत्सव के नोडल अधिकारी डॉ. विजय अग्रवाल बताते हैं कि प्रदेश के किसान अब ड्रिप और प्लास्टिक मल्चिंग से खेती कर रहे हैं। इसमें वायरस पर नियंत्रण रहता है। मिर्च की बेहतर पैदावार और भाव मिलने से आने वाले साल में मिर्च का रकबा बढ़ने की पूरी संभावना है।

एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मिर्च मंडी : खरगोन जिले के बेड़िया में एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मिर्च मंडी है। आंध्रप्रदेश के गुंटूर पहले नंबर पर है। बताया जाता है कि गुंटूर क्षेत्र में इस साल मिर्च का कम उत्पादन होने से निमाड़ की मिर्च की पूछ-परख काफी बढ़ गई।

सीजन के शुरुआती दौर नवंबर-दिसंबर में मिर्च के भाव 200 से 250 रुपये किलो तक भी मिले। चीन को सर्वाधिक निर्यात होता है। खाने के अलावा मिर्च का उपयोग दवाइयां बनाने में भी होता है।

खरगोन मिर्च उत्पादन में अव्वल : दुनिया में भारत मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक है। यहां पूरी दुनिया की 30 फीसद मिर्च पैदा होती है। इसके बाद चीन, थाईलैंड, इथियोपिया और इंडोनेशिया जैसे देशों का नंबर आता है।

बड़े उत्पादक होने के साथ ही भारत बड़ा उपभोक्ता और निर्यातक देश भी है। विश्व में 1.5 मिलियन हेक्टेयर रकबे पर मिर्च की खेती की जाती है जबकि केवल भारत में ही 0.752 मिलियन हेक्टेयर पर। मध्य प्रदेश का खरगोन जिला उत्पादन में सबसे ऊपर है। विश्व में हर साल लगभग 7 मिलियन टन तो अकेले भारत में 2.14 मिलियन टन मिर्च का उत्पादन होता है।

मध्य प्रदेश के कृषि और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री सचिन यादव ने बताया कि मिर्च महोत्सव व्यापारियों, निवेशकों, निर्यातकों के साथ ही किसानों के लिए बड़ा अवसर है।

हमारा उद्देश्य निमाड़ी मिर्च की ब्रांडिंग करना है। खरगोन कलेक्टर गोपालचंद डाड के मुताबिक मिर्च महोत्सव में हर दिन आसपास के छह जिलों के लगभग 20 हजार किसान शामिल होंगे। महोत्सव में मिर्च आधारित व्यंजनों के स्टॉल भी लगेंगे।

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