स्वास्थ्य शिक्षा के लिए किशोर स्वास्थ्य क्लिनिक “साथिया केंद्र” के नाम से विकसित

यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य दिवस (12 फरवरी) पर विशेष
किशोर-किशोरियों के सच्चे साथी बने “साथिया केंद्र”
किशोरावस्था से जुड़े हर सवालों के जवाब मिलने से आया बड़ा बदलाव
57 जिलों में किशोर/किशोरियों को परामर्श,स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने के लिए किशोर स्वास्थ्य क्लिनिक “साथिया केंद्र” के नाम से विकसित
344 किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक बने साथिया केंद्र 25 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में जनपद स्तर के अतिरिक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर
13.58 लाख किशोर/किशोरियों ने 2019 में अप्रैल से दिसंबर के दौरान पंजीकरण कराकर अपने सवालों का सटीक जवाब पाया
81000 किशोरियों ने माहवारी सम्बन्धी समस्याओं के बारे में जानकारी ली
1.5 लाख से अधिक किशोरों ने यौन रोगों और परिवार नियोजन के संसाधनों के बारे में केन्द्रों से संपर्क साधा

लखनऊ, 11 फरवरी 2020
किशोर-किशोरियों में हो रहे शारीरिक बदलाव के प्रति सही जानकारी मुहैया कराने पर प्रदेश सरकार का जोर है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के 57 जिलों में किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक अब नए कलेवर में “साथिया केंद्र” के नाम से स्थापित किए गए हैं। 25 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में जनपद स्तर के अतिरिक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 344 किशोर स्वास्थ्य क्लीनिकों को अब साथिया केंद्र के नाम से विकसित किया जा रहा है। क्लीनिक पर प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा किशोर-किशोरियों के स्वास्थ्य विषयों पर परामर्श की समुचित सेवाएं मिल रही हैं। इससे उनके जीवन में बड़े बदलाव भी देखने को साफ़ मिल रहे हैं।
प्रदेश के चिकित्सालयों में कार्यरत चिकित्सकों, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात ए.एन.एम. और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात कम्युनिटी हेल्थ अफसर से भी संपर्क कर किशोर स्वास्थ्य से जुड़े हर मुद्दों को आसानी से सुलझाया जा सकता है। प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर भी किशोर-किशोरियों के तमाम उत्कंठाएँ होती हैं जिनके बारे में सही जानकारी वह चाहते हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के महाप्रबन्धक-किशोर स्वास्थ्य डॉ. मनोज कुमार शुकुल का कहना है कि वर्तमान में प्रदेश में कुल 344 साथिया केंद्र क्रियाशील हैं। इन किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक (ए.एफ.एच.एस.सी.) पर बीते साल अप्रैल से दिसंबर तक 13.58 लाख किशोर-किशोरियों ने अपना पंजीकरण कराकर परामर्श एवं क्लीनिकल सेवाएं प्राप्त की हैं। करीब 81000 किशोरियों ने माहवारी से सम्बंधित समस्याओं के बारे में जानकारी ली है। दूसरी ओर 1.5 लाख से अधिक किशोरों ने यौन रोगों, परिवार नियोजन के संसाधनों और यौनाचार से पीड़ित किशोरों ने इन केन्द्रों पर संपर्क साधा है।

नजरंदाज न करें, समस्या को सुलझाएं: किशोरावस्था के दौरान माता-पिता को भी बच्चों की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। उनकी समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुनें और उचित सलाह दें न कि नजरअंदाज करें। टालने और नजरअंदाज करने से माता-पिता एवं युवाओं की प्रतिक्रियाएं उनके आपसी स्नेहपूर्ण तथा जिम्मेदार संबंधों में स्वस्थ लैंगिक विकास के विषय में संवाद को मुश्किल बनाते हैं। इसी को ध्यान में रखकर स्कूलों द्वारा भी बच्चों को इस सम्बन्ध में उचित परामर्श प्रदान करने की व्यवस्था की गयी है ताकि बच्चे अपने स्वर्णिम पथ पर अग्रसर हो सकें।

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