‘नमो एप’ से कर्नाटक चुनाव में बीजेपी को मिल सकता है फायदा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले पॉलीटिकल लीडर है. फेसबुक में 97 मिलियन फॉलोवर्स के साथ नरेन्द्र मोदी ने ट्रंप को भी पीछे छोड़ दिया है. सोशल मीडिया पर मोदी की फैन फॉलोइंग डॉनल्ड ट्रंप से डबल है. जाहिर तौर पर बीजेपी के 2019 लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए ये एक बेहतर प्लेटफॉर्म है.

नमो एप की चुनावी क्षमता कर्नाटक की सड़कों पर चेक की जा चुकी है. अप्रैल में जब नमो एप का इस्तेमाल पीएम के साथ बीजेपी कार्यकर्ताओं की बातचीत के लिए किया गया था. पिछले सप्ताह मोदी ने नमो एप के ज़रिए कर्नाटक के किसानों से भी बातचीत की.  बीजेपी महिला मोर्चा से भी पीएम ने नमो के जरिए ही बात की. सभी संभावनाओं के देखते हुए 224 विधानसभा लेवल के मेनिफेस्टों को दिखाते हुए इस एप का इस्तेमाल वोटर्स को टार्गेट करने के लिए भी किया जाएगा.

मोदी के दूरदर्शी पकड़ का ही नतीजा है जो उन्होंने 2014 चुनावों में ही वोटर्स से सीधा संपर्क बनाने के आइडिया पर काम किया. अचानक से ‘डेटामाइनिंग’, ‘एनालिटिक्स’, ‘प्रिडिक्टिव मार्केटसेगमेनटेशन’ जैसे शब्द पत्रकारिता में जुड़ गए. मोदी ने 2019 में 133 मिलियन नए वोटर्स के बारे में एक कदम आगे ही सोच लिया था. जिनमें से ज्यादातर पोस्ट मिलेनियल डिजिटल नेटिव और टेक्नॉलजी के लिए सहज हैं.

PMO एप ने MyGov प्लेटफॉर्म के जरिए सैकड़ों फ्रैश और यंग माइंड्स को जोड़ रखा है. छह बच्चों का ग्रुप जो अपने आपको शान से ‘टीम संस्कृति’ बताता है, उन्हें इस एप को डिजाइन करने का मौका दिया गया. उभरते हुए टेक एक्सपर्ट के जरिए यूजफुल सॉफ्टवेयर बनाने का आइडिया आने वाले स्मार्ट इंडिया हैकेथॉन का विस्तार करेगा. भीम, उमंग, मायपासपोर्ट, सेवा, मायगव, इंडिया वोटर्स, ऑनलाइन आरटीआई, इन्क्रेडेबल इंडिया, एमकवच, खोया-पाया इत्यादि ऐसे एप है जो पीएम के टेक विस्तारीकरण का परिणाम है.

जून 2015 में लॉन्च किया गया पीएमओ एप नोटबंदी के बाद से हिट हो गया. पीएम ने लोगों से इस एप को डाउनलोड करने का आग्रह किया, ताकि लोग इसके जरिए नोटबंदी के फैसले को लेकर सरकार को अपने सुझाव दे सके. इस एप के यूजर बेस को बढ़ाने और  जनता के सीधे संपर्क और अपने आप को जनता के लिए उपलब्ध कराने वाले नेता के तौर पर इस एप को नवंबर 2016 में गूगल प्ले स्टोर और एप्पल एप स्टोर के टॉप 20 डाउनलोड लिस्ट में रखा गया. इसमें कोई अचंभा नही है कि पांच लाख लोगों में 90 प्रतिशत लोगों ने नोटबंदी का समर्थन किया.

पीएम अपने नमो एप को कार्यक्रम ‘मन की बात’ और अपनी किताब ‘एग्जाम वॉरियर्स’ में  भी प्रमोट कर रहे हैं. किताब में QR कोड को स्कैन करके इस एप के लिए लोग अपने कमेंट दे सकते हैं. बीजेपी शासित राज्यों में किताब का बेस्ट सैलर घोषित होना तय है क्योंकि राज्यों में तेजी से इसके ऑर्डर लिए जा रहे जो कि निश्चित तौर पर नमो एप की पहुंच को बढ़ाएगा.

बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए ये एप अनिवार्य है. आखिरी सूचना के तहत एप के पास 10 मिलियन से ज्यादा यूजर्स थे. हालांकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए ये आंकड़ा काफी नहीं है. अमित शाह ने इसके लिए कड़ी चेतावनी जारी करते हुए बीजेपी यूनिट के नेशनल एग्जेक्यूटिव को कहा था कि देश के हर जिले से 100,000 डाउनलोड्स को आश्वस्त करें ताकि जल्द ही 50 मिलियन का आंकड़ा तय किया जा सके. उन्होंने कहा “इस सूचना को किसी सलाह की तरह न लेकर हर जिला इसको अपनी जिम्मेदारी समझे.”

क्या विपक्ष नमो एप की क्षमता का मुकाबला कर पाएगा? एक्सपर्ट के मुताबिक ये एप कई सारी परमिशन्स मांगता है जिसकी वजह से इसके जरिए डेटा लीकेज की संभावना बढ़ जाती है. राहुल गांधी ने ये आरोप भी लगाया था कि इस एप को सरकार का अधिकारिक एप बताया जाता है लेकिन फिर भी इस पर बीजेपी का पूरा नियंत्रण रहता है. राजनीतिक सत्ता की ताकत का इस्तेमाल करते हुए ब्रांड मोदी को प्रमोट करना और अपना निजी डेटाबेस तैयार करना गलत है! हालांकि बीजेपी ने नमो एप के जरिए डेटा लीकेज की संभावनाओं से साफ इंकार करते हुए कहा कि ये इंडियन सर्वर पर स्टोर थी.

नमो एप की इतनी बड़ी पहुंच कांग्रेस के लिए भयावह है. सर्वे और टू-डू निर्देशों के जरिए डिटेल डेटा तैयार किया जाता है. इससे वोटर्स को मैसेज भेजने और सही वोटर की पहचान कर उन्हें पोलिंग बूथ तक ले जाना आसान हो जाता है. हालांकि बीजेपी ने 2014 चुनावों के दौरान ही फोन पर सदस्यता के आधार पर जरूरी डेटाबेस तैयार कर चुकी है. जिसके जरिए दावा है कि 100 मिलियन लोगों का नामांकन हो चुका है. बड़े पैमाने पर बार-बार फोन के जरिए नाम और फोन नंबर की एक अच्छी खासी लिस्ट तैयार हो जाती है.

ऐसे जटिल चुनावी सिस्टम जिसमें परिणामों की भविष्यवाणी नही की जा सकती, नमो एप ने एक नया वेरिएबल दिया है. कर्नाटक मूलरूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है और महाराष्ट्र की तरह ही दक्षिण के इस राज्य में कांग्रेस एक पारंपरिक पार्टी रही है देखना ये है कि क्या इन एप्स का जादू इसे इस बार सत्ता से बेदखल कर पाएगा.

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