शादी पर चाहिए ग्लो तो पार्लर को भूलें और कराएं ये आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट

शादियों का सीज़न आ चुका है और इसी के साथ शॉपिंग की भागादौड़ी भी शुरू हो चुकी है। सही आउटफिट से लेकर फुटवियर, जूलरी और मेकअप पाने के लिए इन सभी चीज़ों का सही तरीके प्लान बनाएं और साथ ही अपने आप को न भूलें। कपड़ों और लुक के साथ सही डाइट, वर्कआउट और सबसे ज़्यादा ज़रूरी होता है ब्यूटी केयर।

आपके पास लक्ज़री स्पा, हॉट स्टोन मसाज और फैशियल जैसे कई विक्लप मौजूद हैं, लेकिन इस बार कुछ अलग ट्राइ करें। हमारे कहने का मतलब है कि इस बार कुछ ट्रेडिशनल आज़माएं जैसे आयुर्वेद ट्रीटमेंट। आयुर्वेद न सिर्फ खूबसूरती के लिए अपनाए जाने वाला भारत का हज़ारों साल पुराना ट्रीटमेंट है बल्कि ये कई गुना ज़्यादा असरदार भी है।

हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी इतनी व्यस्त होती जा रही है कि हमें अपने आप की देखभाल का समय ही नहीं मिलता है। साथ ही दिल्ली-मुंबई जैले शहरों में प्रदूषण तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। ये हमारी त्वचा पर डेड स्किन और गंदगी की परत बना देता है, जिसकी वजह से एक्ने और जलन जैसे तकलीफें होने लगती हैं। आयुर्वेद, आपको अंदर से लेकर बाहर तक डिटॉक्स करता है। इस प्राकृतिक ट्रीटमेंट से आपकी त्वचा संतुलित हो जाती है और साथ ही ग्लो भी बढ़ जाता है।

इन हीलिंग तरीकों को आज़माएं

अभ्यंग मसाज

यह प्राचीन उपचार त्वचा को कोमल और मुलायम बनाता है। यह जोड़ों को चिकनाई भी देता है और लिम्फ फ्लूइड को चलने में मदद करता है, डिटॉक्स में सहायता करता है। इससे आप शांत महसूस करेंगे। इससे नींद न आने की दिक्कत भी दूर होती है। इसके लिए आप ब्रिंगराज तेल को अपने सिर पर लगाएं। इसे आप घर पर भी तैयार कर सकते हैं। तिल के तेल में ताज़ा तुलसी के पत्ते और अदरक मिला लें और फिर इससे शरीर पर मसाज करें। इसे पहले गर्म कर लें और फिर सबसे पहले माथे पर लगाएं, उसके बाद सिर पर, गालों पर, जॉलाइन, गर्दन, कान, फिर पूरे शरीर पर और आखिर में पैरों पर। मसाज के लिए उंगलियों की जगह अपनी हथैलियों का इस्तेमाल करें।

ये तेल टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है, जोड़ों के दर्द को कम करता है, थकान और रूखापन भी दूर होता है। आप चाहें तो इस तेल से किसी एक्पर्स से भी मसाज करा सकती हैं।

शिरोधरा

शिरोधरा एक संस्कृत का शब्द है, इसमें शिरो का मतलब होता है सिर और धरा का मतलब होता है बहाव। ये एक ऐसी आयुर्वेदिक थैरेपी है जिसमें तेल को धीरे-धीरे सिर पर डाला जाता है। ये पंचकर्म यानी सफाई की क्रिया का एक हिस्सा है, इससे आपके शरीर का वातदोष में सुधार होता है। इसमें मस्तिष्क को तीसरी आंख माना जाता है।

इसकी शुरुआत कंधों की मालिश से की जाती है जो तंग जोड़ों को ढीला करता है। उपचार का उद्देश्य तनाव को दूर करना और ‘तीसरी आंख’ खोलकर नकारात्मक विचारों को समाप्त करना होता है।

हर्बल पोटली

ये एक ऐसी विधि है जो आपके शरीर को काफी पसंद आएगी। इसमें गर्म कपड़े के मुलायम पोटली का इस्तेमाल होता है। ये पोटली आपकी त्वचा पर लगाई जाती है, जिससे सूजन, दर्द कम होता है, ब्लड सर्कूलेशन बढ़ता है और आप अच्छा महसूस करते हैं। इस पोटली बैग में ताज़ा और सूखे आयुर्वेदिक औषधियां होती हैं।

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