शिवसेना मोदी सरकार पर कसा तंज, कहा- अब प्याज सुंघाकर किसी को होश में लाना संभव नहीं

शिवसेना ने प्याज और अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया कि वर्तमान में, अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो गई है। लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है। प्याज के दाम 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए हैं।

सरकार पर तंज कसते हुए यह भी कहा गया कि बेहोश व्यक्ति को प्याज की सुंघाकर से होश में लाया जाता है, लेकिन यह अब संभव नहीं है क्योंकि प्याज बाजार से गायब हो गया है। वित्त मंत्री ने भी इस मुद्दे पर बहुत ही बचकाना जवाब दिया। उन्होंने कहा ‘मैं प्याज-लहसुन नहीं खाती, इसलिए मुझसे प्याज के बारे में न पूछे। ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे को हल करने की कोई इच्छा नहीं है।’

पीएम मोदी की नीति बदल गई

संपादकीय में ये भी कहा गया कि जब मोदी प्रधानमंत्री नहीं थे तब उन्होंने प्याज की बढ़ती कीमतों पर चिंता व्यक्त की थी। जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने कहा था कि प्याज एक महत्वपूर्ण सब्जी है और कहा कि इसको लॉकर में रखना चाहिए। आज उनकी नीति बदल गई है। मोदी अब प्रधानमंत्री हैं और अर्थव्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है।

सरकार विशेषज्ञों की बात सुनने के मूड में नहीं

पंडित नेहरू (जवाहरलाल नेहरू) और इंदिरा गांधी को देश की अर्थव्यवस्था की बिगड़ी हालात के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। मौजूदा सरकार विशेषज्ञों की बात सुनने के मूड में नहीं है। उनके लिए, अर्थव्यवस्था एक शेयर बाजार की तरह है जो अव्यवहार्य बन गया है।

विमुद्रीकरण पर भी सवाल उठाया 

भाजपा के पूर्व सहयोगी ने विमुद्रीकरण (demonetization ) के मुद्दे पर भी सवाल उठाया और कहा कि बहुत कम लोग प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में निर्णय लेते हैं। ये निर्णय सत्तारूढ़ पार्टी के अपने राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रमों के लिए मान्य हैं। लेकिन उनके फैसलों ने आर्थिक सुधारों को हाशिए पर ला दिया है। विमुद्रीकरण जैसे फैसले लेते वक्त देश के वित्तमंत्री को अंधेरे में रखा गया और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर ने भी विरोध किया, बाद में उन्हें हटा दिया गया। शिवसेना ने यह भी कहा कि केंद्र सराकर गरीबी से लड़ने के लिए भी कुछ नहीं कर रही है।

अर्थव्यवस्था बीमार, सरकार मानने को तैयार नहीं

शिवसेना ने यह भी कहा कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स में इस बार 107 देशों में से भारत को 102 रैंक मिला है। 2014 में, भारत 55 वें स्थान पर था और पिछले पांच वर्षों में देश में गरीबी बढ़ी है। जबकि पड़ोसी देशों जैसे नेपाल में, बांग्लादेश, पाकिस्तान यह कम हो गया है। लोगों के हाथ में कोई काम और पेट में खाना नहीं है। यह हमारे देश के आम लोगों की स्थिति है, लेकिन इसे विकास कह रहे हैं। हमारी अर्थव्यवस्था बीमार है, लेकिन मोदी सरकार यह मानने को तैयार नहीं है।

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