24 लोगों की मौत के लिए अफसर जिम्मेदार नहीं…

बटाला में चार सितंबर को पटाखा फैक्टरी में हुए ब्लास्ट में 24 लोगों की मौत का जिम्मेदार बताकर जिला प्रशासन ने तीन क्लर्कों को सस्पेंड कर दिया है। ब्लास्ट के बाद चल रही जांच के 75 दिन बाद यह कदम उठाया गया है। अधिकारियों की जांच रिपोर्ट में गुरदासपुर में माल विभाग के सुपरिटेंडेंट ग्रेड-2 अनिल कुमार, गुरदासपुर तहसील कार्यालय में जूनियर सहायक बिल क्लर्क मुल्ख राज और जूनियर सहायक अमला शाखा गुङ्क्षरदर सिंह जिम्मेदार पाए गए हैं।

इससे साफ हो गया है कि पटाखा फैक्टरी में ब्लास्ट से मारे गए लोगों की मौत के जिम्मेदार अधिकारी तो नहीं थे। हालांकि इस जांच पर पीडि़त परिवार पहले ही संदेह जताते रहे हैं। उन्हें आभास था कि जांच में किसी अधिकारी को जिम्मेदार नहीं बताया जाएगा और उस पर कोई एक्शन नहीं होगा। प्रशासन और सरकार लोगों की इस उम्मीद पर पूरी तरह खरी उतरी है।

एडीसी के प्रशासन के आदेश के अनुसार आरोपित तीनों मुलाजिम बिना अनुमति अपना स्टेशन छोड़कर दूसरी जगह नहीं जा सकते। सस्पेंड किए गए अनिल कुमार का इस दौरान मुख्यालय एडीएम दफ्तर दीनानगर होगा। मुल्ख राज और गुरिंदर सिंह का मुख्यालय एसडीएम दफ्तर डेरा बाबा नानक रहेगा।

दो हफ्ते की जांच 37 दिन में की थी पूरी

गुरदासपुर के एडीसी जनरल तेजिंदरपाल सिंह संधू ने पटाखा फैक्टरी में ब्लास्ट मामले की मजिस्ट्रेट जांच की थी। उन्हें यह रिपोर्ट दो हफ्ते में सरकार को सौंपनी थी, लेकिन इस बीच वे खुद विदेश चले गए। 37 दिन बाद 11 अक्टूबर को उन्होंने डीसी गुरदासपुर को जांच रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे आगे सरकार को भेजा गया था।

…इसलिए क्लर्क करार दिए गए आरोपित

जिला प्रशासन के अलग-अलग विभागों में क्र्लक ही किसी मामले में दस्तावेजों की फाइल तैयार करता है। वही दस्तावेजों की पड़ताल करता है और उस पर आपत्तियां लगाता है। फाइल पूरी तरह तैयार होने पर ही वह अधिकारी के पास पेश करता है। अधिकारी फाइल पर सिर्फ हस्ताक्षर करता है, इसलिए ऐसे मामलों में क्लर्क को ही सबसे पहले आरोपित माना जाएगा।

पीडि़त परिवार बोले- प्रशासन ने खानापूर्ति कर धोखा किया

पटाखा फैक्टरी ब्लास्ट के पीडि़त गुरप्रीत सिंह का कहना है कि प्रशासन ने रिपोर्ट में खानापूर्ति की है। उन्हें पहले ही इस जांच पर भरोसा नहीं था। उनके बेटे और पत्नी की जान इस हादसे में गई थी। इंसाफ की उम्मीद कम ही है। उनके साथ धोखा किया गया है। पीडि़त कमलजीत सिंह का कहना है कि अधिकारियों ने खुद को तो बचाना ही था।

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