फूटीं हरित उत्तराखंड की कोंपलें…

पौधारोपण और उत्तराखंड का बड़ा गहरा नाता है। अलग राज्य बनने के बाद राज्य का वन क्षेत्र 65 फीसद से बढ़कर अब करीब 71 फीसद हो गया है। यह पौधरोपण की मुहिम की बदौलत ही मुमकिन हुआ। अब पहली बार राज्य के बजट में हरित उत्तराखंड की कोंपलें फूटी हैं। सरकार ने बजट मैनुअल में बदलाव कर वृक्षारोपण को नई मानक मद में शामिल कर दिया है। इससे अब वन विभाग के साथ ही अन्य महकमे भी पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर पौधरोपण की मुहिम को खाद-पानी दे सकेंगे। वहीं, वन और उद्यान विभागों के लिए अब पौधरोपण के नाम पर मनचाहे तरीके से सरकारी धन को ठिकाने लगाना मुमकिन नहीं होगा। अलग मद बनने से अब इस काम पर होने वाले खर्च का पूरा रिकॉर्ड दर्ज होगा।

राज्य सरकार ने बजट मैनुअल में संशोधन कर वृक्षारोपण समेत आठ नई मानक मदें तय की हैं। खास बात ये है कि इन नई मदों ने सरकार की कार्ययोजना के साथ ही आगे की रणनीति के संकेत भी दे दिए हैं। वृक्षारोपण की नई मद के तहत वन और उद्यान महकमों के पौधरोपण और वृक्षारोपण के अनुरक्षण से जुड़े सभी तरह के खर्च दर्ज किए जाएंगे। अभी तक अलग मद नहीं होने से पौधरोपण पर होने वाला सही खर्च सामने नहीं आ पाता था। इसे वित्तीय पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

दरअसल, वित्त सचिव अमित नेगी ने आदेश जारी कर कुल 69 मानक मदों को संशोधित किया है। वाहनों की खरीद पर नियंत्रण इस आदेश में भविष्य में सरकारी वाहनों का बीमा किए जाने का संकेत भी है। इसके लिए इंश्योरेंस पॉलिसी/ प्रीमियम मद बनाया गया है। अभी तक सरकारी वाहनों के बीमे की व्यवस्था नहीं रही है। सरकारी विभाग धड़ल्ले से किराए पर वाहन ले रहे हैं या खरीद भी कर रहे हैं। इन वाहनों का बीमा करने पर सरकार विचार कर रही है। इसके लिए बाकायदा नई मद तैयार की गई है।

इसीतरह महकमों को अपनी जरूरत के लिए भूमि की खरीद या भूमि का मुआवजा देने में जटिल प्रक्रिया से जूझना पड़ता था। इसे सरलीकृत करने के लिए नई मद भूमि क्रय अस्तित्व में आ गया है। इस मद में भूमि की खरीद, अधिग्रहण और इससे संबंधित मुआवजा देने से संबंधित खर्च शामिल होगा। बजट में बचे धन का अन्य योजना में भी उपयोग वापसी नाम से नया मद बनाया गया है।

इससे महकमों को बची रह गई धनराशि को लौटाने में दिक्कतें नहीं उठानी पड़ेगी। साथ ही इस मद में शेष धनराशि को सरकार एक ही वित्तीय वर्ष में अन्य जरूरी योजनाओं पर खर्च कर सकेगी। समनुदेशन यानी डेबालूशन नाम से नई मानक मद तय की गई है। इसके दायरे में स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं को राज्य वित्त आयोग की सिफारिश से मिलने वाले धन के खर्च का ब्योरा शामिल रहेगा।

सेवानिवृत्त कर्मचारियों की उपार्जित अवकाश नगदीकरण को लेकर होने वाली परेशानी से निपटने को उपार्जित अवकाश नगदीकरण को नई मानक मद से जोड़ा गया है। इस मद में भुगतान को अलग से धनराशि का प्रबंध किया जाएगा। इसीतरह अनुमन्यता संबंधी खर्च को नई मद में शामिल कर कार्मिकों को अनुकंपा के आधार पर दिए जाने वाले सभी भत्ते जैसे वर्दी भत्ता, मोबाइल/लैपटॉप/सूटकेस की खरीद पर खर्च को लिया गया है।

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