AIMPLB बैठक- SC ने माना नमाज पढ़ी जाती थी…

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की लखनऊ में रविवार को बैठक से पहले स्थान बदलने के साथ ही सदस्यों में गहरे मतभेद सामने आए। नदवा कॉलेज के स्थान पर मुमताज पीजी कॉलेज में आयोजित बैठक में जमीअत उलमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी बैठक में देर से पहुंचे और कुछ ही देर में वापस भी हो गए। इस दौरान मीडिया ने जब उनको रोका तो उन्होंने मीडिया से बातचीत नहीं की।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक के दौरान बाहर आने वाले जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने का मन बनाया है। जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमको पुर्नविचार याचिका पर सुनवाई के बाद कुछ बदलाव होने की संभावना नहीं है। हम पुर्नविचार याचिका दाखिल करेंगे। बैठक के बाद मौलाना मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमको मालूम है रिव्यू पिटिशन का हाल क्या होना है। इसके बाद भी हम रिव्यू पिटिशन दाखिल करेंगे। फिर भी यह हमारा हक है।

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने बैठक का स्थान अचानक बदला । पहले बैठक नदवा कॉलेज में होनी थी, लेकिन अब नदवा नही मुमताज पीजी कॉलेज में बैठक होगी। इस बैठक में बोर्ड के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली के साथ बोर्ड उपाध्यक्ष मौलाना जलालुद्दीन उमरी, महिला विंग की संयोजक डॉ आसमा जहरा, बोर्ड के महासचिव मौलाना वाली रहमानी, ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) के प्रमुख तथा हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी तथा अध्यक्ष, जमीअत उलमा हिन्द मौलाना अरशद मदनी, भी मुमताज कॉलेज पहुंचे हैं।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की मीटिंग में चारों महिला मेंबरान डॉ आसमा ज़हरा, निगहत परवीन खान, देहली की ममदुहा माजिद, आमना रिजवाना, मौलाना वाली रहमानी, जलालुद्दीन उमरी, मौलाना अतीक बस्तवी, मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, असदुद्दीन ओवैसी, मौलाना अरशद मदनी जमीयत उलेमा ए हिंद, जफरयाब जिलानी, फजलुररहीम मुजद्दीदी, ईटी मोहम्मद रशीद सांसद मुस्लिम लीग केरला, यासीन अली उस्मानी, सआदत उल्लाह हुसैनी जमात ए इस्लामी हिंद समेत अन्य मेंबरान मौजूद मौलाना राबे हसनी नदवी भी मुमताज डिग्री कॉलेज पहुंचे ।

बैठक में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पुनर्विचार याचिका या फिर क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने पर निर्णय किया जाएगा। इस बैठक में पर्सनल लॉ बोर्ड अयोध्या मसले पर अपनी भविष्य की रणनीति भी तय करेगा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुस्लिम पक्षकारों में अलग-अलग राय है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव व वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने फैसला आने के तुरंत बाद इस मसले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की बात कही थी। एक पक्ष ऐसा भी है जो कह रहा है कि अब इस मसले को यहीं खत्म कर देना चाहिए। इस मामले में अब पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से भी कुछ हासिल नहीं होगा।

इस परिप्रेक्ष्य में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कार्य समिति की रविवार को होने वाली बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह बैठक लखनऊ के नदवा कॉलेज में होगी। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए पदाधिकारी शनिवार को ही राजधानी पहुंच गए। इसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिलने वाली पांच एकड़ जमीन ली जाए या न ली जाए इस पर भी विचार किया जाएगा।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में असमंजस

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही अयोध्या मुद्दे पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में दो राय बनी हुई है। रिव्यू पिटीशन दाखिल करने को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। इस बात पर करीब सभी सदस्य एकमत हैं कि मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन नहीं ली जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही अयोध्या मुद्दे पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दो राय बनी हुई है।

जफरयाब जिलानी और उनके कुछ समर्थक सदस्य रिव्यू पिटीशन दाखिल करने के पक्ष में हैं। इनका तर्क है कि कानूनी रूप से जब रिव्यू पिटीशन का विकल्प मिला हुआ है तो हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए, जबकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में एक बड़ा तबका है, जिनके तर्क हैं कि एक बड़ी समस्या का अंत हो गया है। ऐसे में हमें अब इस मामले को यहीं खत्म कर देना चाहिए। रिव्यू पिटीशन डालने से सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला बदलने वाला नहीं है। ऐसे में रिव्यू पिटीशन डालकर दोबारा से इस मुद्दे पर राजनीतिक करने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए।

जमीन नहीं लेने पर 90 फीसदी सदस्य राजी

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि वे मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन स्वीकार नहीं करेंगे। हमारी लड़ाई कानूनी रूप से इंसाफ के लिए थी। ऐसे में हम वह जमीन लेकर पूरी जिंदगी बाबरी मस्जिद के जख्म को हरा नहीं रख सकते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दी गई पांच एकड़ जमीन को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नहीं स्वीकारेगा। बोर्ड के तकरीबन 90 फीसदी सदस्य इस बात पर राजी हैं। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी साफ कर दिया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में क्या फैसला होता है, उसके बाद वह जमीन लेने पर अपनी राय रखेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर नौ नवंबर को अपना फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में अयोध्या की 2.77 एकड़ विवादित जमीन रामलला विराजमान को राम मंदिर बनाने के लिए दे दी है। मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया गया है। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार एक ट्रस्ट बनाए और उसमें निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व दिया जाए।

योगी आदित्यनाथ के मंत्री का पर्सनल लॉ बोर्ड पर गंभीर आरोप

योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री मोहसिन रजा ने अयोध्या फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर मंथन के लिए लखनऊ में आयोजित ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक पर सवाल उठाए हैं। मोहसिन रजा ने कहा कि यह संस्था देश का माहौल बिगाडऩे की कोशिश कर रही है। मोहसिन रजा ने कहा कि अगर ्रबोर्ड को मीटिंग करनी ही थी तो हैदराबाद या दिल्ली में कर लेते। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट का आखिरी फैसला मुस्लिम समाज मंजूर कर चुका है तो उत्तर प्रदेश में इस मीटिंग को करने का क्या औचित्य है। मोहसिन रजा ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड माहौल खराब करना चाहता है।

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