पंजाब-हरियाणा ने चंडीगढ़ को अपना हिस्सा मानने से किया इन्कार

राजधानी चंडीगढ़ विवाद उलझता जा रहा है। पंजाब व हरियाणा सरकार साफतौर पर कह चुके हैं कि चंडीगढ़ उनकी केवल राजधानी है, हिस्सा नहींं। केंद्र व चंडीगढ़ प्रशासन ने भी हाई कोर्ट में जवाब दायर कर कहा था कि चंडीगढ़ न तो पंजाब का हिस्सा है और न ही हरियाणा का। यह केंद्रशासित प्रदेश है। इस पर किसी का अधिकार नहीं है। इसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व है।

शनिवार को सुनवाई के दौरान याची के वकील ने कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देकर बताया कि उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट चंडीगढ़ को पंजाब का हिस्सा मान चुका है। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि जब स्वयं पंजाब सरकार कह चुकी है कि उसका चंडीगढ़ में हिस्सा नहींं तो हाई कोर्ट क्या माने?

हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को इस बाबत अपना रूख साफ करने का निर्देश देते हुए कहा कि हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई स्थगित कर रहा है, लेकिन अगली सुनवाई पर सभी पक्ष इस मामले में अपना रूख साफ कर कोर्ट में अपना जवाब दें। इस मामले में हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में जवाब दायर कर स्वीकार किया था कि चंडीगढ़ पंजाब की तरह हरियाणा की राजधानी है, लेकिन केंद्र शासित होने के कारण यह उसके अधीन नहीं है। इसका स्वतंत्र अस्तित्व है और सीधे तौर पर केंद्र सरकार के अधीन है।

प्रदेश सरकार ने वर्ष 1966 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में 3 अगस्त को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि उसमें चंडीगढ़ को पंजाब के साथ ही हरियाणा की भी राजधानी बनाया गया था। साथ ही चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। इससे चंडीगढ़ न तो पंजाब के अधीन है और न ही हरियाणा के।

पिछली सुनवाई पर पंजाब सरकार ने अपना जवाब दायर कर ऐसी ही जानकारी दी थी। पंजाब ने भी माना है कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी जरूर है, लेकिन केंद्र शासित होने के कारण यह सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है। चंडीगढ़ प्रशासन ने भी अपने हलफनामे में माना कि चंडीगढ़ का खुद ज्यूडिशरी कैडर नहीं है बल्कि पंजाब और हरियाणा कैडर से काम चलाया जा रहा है।

मामला क्या है

चंडीगढ़ निवासी फूल सिंह अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं जिन्होंने डिस्ट्रिक्ट जज के लिए आवेदन किया था और वह पंजाब व हरियाणा में मेरिट में आते रहे, मगर दोनों ही राज्य कहते है कि चंडीगढ़ उनके राज्य का हिस्सा नहीं है ऐसे में उसको आरक्षण का लाभ नही दिया जा सकता।

याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया गया है जिसमे एमबीए के छात्र जिन्होंने चंडीगढ़ से बाहरवीं पास की थी वो पंजाब में योग्य नहीं माना जाता था । इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा की चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है और पंजाब का हिस्सा है इसलिए वो पंजाब मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए योग्य माना जायेगा । इस आदेश को ग्राउंड बनाकर ही याचिका दायर की गई।

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