यूपी सीएम ने स्वामी राम को दी श्रद्धांजलि…

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट के संस्थापक स्वामी राम को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान यूपी सीएम ने भारत माता मंदिर के संस्थापक पूर्व शंकराचार्य ब्रह्मलीन संत सत्यमित्रानंद गिरी महाराज को मरणोपरांत स्वामी राम मानवता सम्मान से नवाजा। ये सम्मान उनके शिष्य आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने ग्रहण किया।

इस अवसर पर सीएम योगी ने कहा, हिमालय के आंचल में गढ़वाल के छोटे से गांव में स्वामी राम ने जन्म लिया। देश और दुनिया में भारत की आध्यात्मिक पताका फैलाई और पूरा जीवन उन्होंने मानवता को लोक कल्याण को समर्पित किया। भारत का यह अध्यात्म ही है, जिसने पूरी दुनिया को एक कुटुंब के रूप में देखा। सनातन हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में हमें कोई योगी जीवन देता है तो उसके त्याग को नहीं भुलाना चाहिए।

हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट(एचआइएचटी) के संस्थापक डॉ. स्वामी राम की 24वीं पुण्यतिथि और महासमाधि दिवस पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट(देहरादून) पहुंचे। इस दौरान यूपी सीएम ने बेस्ट कर्मचारी और चिकित्सकों को सम्मानित किया। पुरस्कार में पांच लाख रुपये, सम्मान पत्र और स्मृति चिह्न शामिल हैं। कर्मचारियों को सम्मानित करने के बाद यूपी सीएम ने कहा, एक साथ बिना भेदभाव के हर वर्ग के कर्मचारी और अधिकारी को सम्मानित किया गया है, यह स्वामी राम की सबसे बड़ी प्रेरणा है।

सत्यमित्रानंद ने कभी किसी के साथ छोटे-बड़े का भेदभाव नहीं किया

सीएम योगी ने कहा, देश की आजादी के कालखंड के दौर को याद करना होगा। महर्षि अरविंद को भी उन्होंने याद किया। उनका कहना है कि सभी देवताओं की उपासना भारत माता की पूजा में निहित है। 1983 में भारत माता मंदिर बनाकर स्वामी सत्यमित्रानंद ने भारत माता को सर्वस्व समर्पण का भाव जाहिर किया था। स्वामी सत्यमित्रानंद ने कभी किसी के साथ छोटे-बड़े का भेदभाव नहीं किया। उन्होंने कहा, कि में डॉ. विजय धस्माना का अभिनंदन करूंगा कि उन्होंने स्वामी राम मानवता सम्मान के लिए उचित व्यक्तित्व को चुना।

हिमालय मानवता के उद्गम का केंद्र

योगी आदित्यनाथ ने स्वामी राम विश्वविद्यालय के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा, हिमालय की विशेषता इस बात को लेकर भी है कि हिमालय मानवता के उद्गम का केंद्र है। दुनिया की प्राचीन सभ्यता हिमालय से ही निकलती है। हिमालय नहीं होता तो हिंदुस्तान और भारत भी नहीं होता। ऋषि-मुनियों ने शास्त्रों में इस बात को साफ किया कि हिमालय को आधार मानकर ही देश का नाम रखा गया है।

सत्यमित्रानंद को पुरस्कार दिए जाने से प्रफुल्लित

वहीं, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद को यह पुरस्कार दिए जाने से हम बहुत प्रफुल्लित हैं। स्वामी सत्यमित्रानंद स्वयं इस पुरस्कार की चयन समिति के सदस्य रहे हैं अब उन्हें यह सम्मान दिया जाना अचंभित करता है। यह हमारे लिए प्रसन्नता की बात है। उन्होंने कहा, स्वामी राम जीवन मुक्त पुरुष थे। विराट प्रतिभा के धनी थे। उनके साहित्य में उनकी विलक्षणता झलकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस समारोह में सानिध्य मिलने से यह कार्यक्रम और अधिक यादगार बन गया है। पूरा देश उनकी योग्यता और प्रतिभा को देख चुका है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. विजय धस्माना ने स्वामी राम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा, पीएम की आयुष्मान भारत योजना को हिमालयन हॉस्पिटल ने शत-प्रतिशत सफल बनाया है। पूरे देश में ये हॉस्पिटल इस योजना को आगे बढ़ाने में प्रथम स्थान पर है, जिस भावना से स्वामी राम ने इस संस्थान की स्थापना की उसे आगे बढ़ाने में सभी का सहयोग रहा है।

उन्होंने बताया, स्वामी राम द्वारा स्थापित ग्रामीण विकास संस्थान के जरिए पर्वतीय क्षेत्र में हमने 440 गांव में पीने का पानी पहुंचाया है। 14000 शौचालय बनाए हैं। टिहरी जिला अस्पताल को संस्थान संचालित कर रहा है। पौड़ी जिला चिकित्सालय को संचालित करने की भी योजना है। इस वर्ष करीब 12 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति गरीब और मेधावी छात्रों को दी जा रही है। संस्थान निरंतर प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा, हिमालयन हॉस्पिटल ट्रस्ट के रूप में स्वामी राम रोपित संस्थान आज एक विशाल वृक्ष के रूप में लोगों को निस्वार्थ सेवादे रहा है।

जन सेवा को समर्पित रहा डॉ. स्वामी राम का जीवन

डॉ. स्वामी राम को लोग एक संत, समाजसेवी, चिकित्सक और लेखक के रूप में जानते हैं। लेकिन इन सबसे इतर दुनिया उन्हें मानव सेवा के संदेश वाहक के रूप में भी जाना जाता है। वर्ष 1925 में पौड़ी जनपद के तोली गांव में स्वामी राम का जन्म हुआ। किशोरावस्था में ही स्वामी राम ने संन्यास की दीक्षा ली। 13 वर्ष की अल्पायु में ही विभिन्न धार्मिक स्थलों और मठों में हिंदू और बौद्ध धर्म की शिक्षा देना शुरू किया।

24 वर्ष की आयु में उन्होंने प्रयाग, वाराणसी और लंदन से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद कारवीर पीठ के शंकराचार्य पद को सुशोभित किया। गुरु के आदेश पर पश्चिम सभ्यता को योग और ध्यान का मंत्र देने 1969 में अमेरिका पहुंचे। 1970 में अमेरिका में उन्होंने कुछ ऐसे परीक्षणों में भाग लिया, जिनसे शरीर और मन से संबंधित चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांतों को मान्यता मिली। उनके इस शोध को 1973 में इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका ईयर बुक ऑफ साइंस व नेचर साइंस एनुअल और 1974 में वर्ल्ड बुक साइंस एनुअल में प्रकाशित किया गया।

स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम उत्तराखंड में विश्व स्तरीय चिकित्सा संस्थान बनाने का स्वामी राम ने सपना देखा था। उन्होंने अपने सपने को आकार देना शुरू किया 1989 में। इसी साल उन्होंने गढ़वाल हिमालय की घाटी में हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट की स्थापना की। ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के मकसद से 1990 में रुरल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (आरडीआइ) व 1994 में हिमालयन अस्पताल की स्थापना की। प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को महसूस करते हुए स्वामी राम ने 1995 में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की। नवंबर 1996 में स्वामी राम ब्रह्मलीन हो गए।

E-Paper