आज होगी मोदी की चिनफिंग से मुलाकात, ये है भारत-चीन संबंधों में खटास की असल वजह

वुहान। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज चीन के वुहान शहर में राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात करेंगे। दोनों नेता 27-28 अप्रैल को अनौपचारिक शिखर बैठक में शामिल होंगे। इस बैठक को लेकर न सिर्फ चीन बल्कि भारत भी काफी उत्साहित है। इसकी एक वजह यह भी है कि पिछले साल 72 दिनों तक चले डोकलाम विवाद के बाद यह मोदी और चिनफिंग के बीच पहली मुलाकात है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में मोदी-चिनफिंग की मुलाकात को दोनों देशों के रिश्ते में नए अध्याय की शुरुआत बताया गया है।

मुलाकात से उत्साहित चीनी मीडिया

एक लेख में कहा गया कि भारत और चीन के बीच एक दूसरे के प्रति अविश्वास की भावना है, जो डोकलाम में 72 दिनों तक चले सैन्य गतिरोध के बाद और बढ़ी है। इस अनौपचारिक शिखर बैठक से दोनों देशों के रिश्तों में जारी तनाव को कम करने और आपसी विश्वास बहाली में मदद मिलेगी।

रवानगी से पहले बोले पीएम

यात्रा पर जाने से पहले पीएम मोदी ने भी चीन और भारत के संबंधों में सुधार की उम्मीद जताई थी। गुरुवार को उन्होंने कहा था कि वह दोनों देशों के रिश्तों की रणनीतिक और भविष्य के नजरिए से समीक्षा करेंगे। उम्मीद है कि दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों में सुधार और डोकलाम विवाद सहित कई जटिल मुद्दों पर मतभेदों को सुलझाने की कोशिश करेंगे।

जानिए- क्या है कार्यक्रम

पीएम मोदी की यात्रा की शुरुआत शुक्रवार को भारतीय समयानुसार दोपहर करीब पौने एक बजे से होगी। पीएम मोदी की पहली बैठक चीनी समयानुसार दोपहर 3.30 बजे (पौने एक बजे भारतीय समयानुसार) होगी, जहां शी चिनफिंग हुवई प्रोविंसियल म्यूजियम में पीएम मोदी का स्वागत करेंगे।

चीन की इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी के साथ 6 प्रतिनिधिमंडल का एक समूह भी होगा। दूसरे राउंड की बैठक में ये प्रतिनिधि मंडल का समूह शामिल होगा। हालांकि, बताया जा रहा है कि इसमें किसी एजेंडे पर बातचीत नहीं होगी। इसके अलावा शुक्रवार की रात ईस्ट लेक गेस्ट हाउस में शी चिनफिंग की मेहमाननवाजी में पीएम मोदी रात्रि भोजन करेंगे।  शनिवार को ईस्ट लेक गेस्ट हाउस में ही पीएम मोदी और चिनफिंग के बीच बातचीत होगी। पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान दोनों नेता बोट राइडिंग भी करेंगे। उसके बाद लंच भी का भी इंतजाम है।

चीन-भारत विवाद

बता दें कि पिछले साल डोकलाम पर हुआ सैन्य गतिरोध ही केवल भारत और चीन के संबंधों में खटास नहीं लाया है। बल्कि एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर चीन का विरोध और जैश सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की राह में चीन द्वारा रोड़ा अटकाए जाने के मसले पर भी दोनों देशों के बीच तनातनी है। इसके अलावा चीन की महात्वाकांक्षी वन वेल्ट वन रोड को लेकर भी दोनों देशों के बीच परेशानी है। जिसको लेकर चीन की मीडिया में कहा जा रहा है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) को लेकर चीन को भारत को आश्वस्त करना चाहिए कि यह एक आर्थिक परियोजना है और इससे चीन की निष्पक्षता प्रभावित नहीं होगी। दरअसल, चीन द्वारा बनाया जा रहा ये कॉरिडोर बलूचिस्तान प्रांत से होकर गुजरेगा, जहां दशकों से लगातार अलगाववादी आंदोलन चल रहे हैं।

इसके साथ-साथ गिलगिट-बल्टिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का इलाका भी शामिल है। भारत द्वारा इसका विरोध इस कारण किया जा रहा है क्योंकि यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के विवादित क्षेत्र बलूचिस्तान से होते हुए जायेगा। यातायात और ऊर्जा का मिला-जुला यह प्रोजेक्ट समंदर में बंदरगाह को विकसित करेगा जो भारतीय हिंद महासागर तक चीन की पहुंच का रास्ता खोल देगा।

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