भारतीय-ब्रिटिश लेखक सौरव दत्त ने कहा जलियांवाला बाग हत्याकांड पर माफी मांगे ब्रिटिश सरकार

दुनिया के सबसे जघन्य नरसंहारों में से एक माने जाने वाले जलियांवाला बाग नरसंहार पर पुस्तक लिखने वाले भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सौरव दत्त ने अप्रैल 1919 की घटना के लिए ब्रिटिश सरकार से माफी मांगने के लिए कहा है। कोलकाता में जन्मे सौरव ने हाल ही में जलियांवाला बाग की घटना पर “गार्डेन ऑफ बुलेट्स” लिखी है।

इस पुस्तक का विमोचन 13 मार्च को किया गया है। विमोचन की तारीख जलियांवाला बाग की घटना के एक सौ साल पूरे होने से एक महीने पहले रखी गई थी। 37 वर्षीय सौरव ने कहा कि घटना पर ब्रिटिश सरकार की मांग बहुत पुरानी है। अब भारतीय मूल के ब्रिटेन निवासी भी अब इसके लिए पुरजोर मांग कर रहे हैं।

संसद के हाउस ऑफ लॉर्ड्‌स में इस पर चर्चा हो चुकी है। कहा गया है कि ब्रिटिश राज के दौरान भारत में हुई नरसंहार की इस घटना के पीड़ितों के घावों पर भावनात्मक मरहम लगाने का यह उचित मौका है। इसलिए घटना पर ब्रिटिश सरकार अब औपचारिक माफी मांगे।

बताते चलें कि अमृतसर में बैसाखी के मौके पर जलियांवाला बाग में हो रही शांतिपूर्ण सभा पर अंग्रेज जनरल डायर ने गेट बंद कराकर फायरिंग कराई थी। गोलियों से बचने के लिए दर्जनों लोग मैदान के किनारे बने कुंए में कूद गए थे। घटना में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।

ब्रिटिश संसद में भी उठ चुकी है मांग

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही जलियांवाला बाग हत्याकांड के 100 साल बाद आखिरकार ब्रिटिश सरकार ने इशारा किया है कि वह इसके लिए माफी मांग सकती है। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई इस हत्याकांड के शताब्दी वर्ष के सिलसिले में मंगलवार शाम को हाउस ऑफ लॉर्ड्स (ब्रिटिश संसद) में हुई बहस के दौरान एक मंत्री ने सदन से कहा था कि ब्रिटिश सरकार औपचारिक माफी की मांग पर विचार कर रही है।

भारतीय मूल के सांसदों ने उठाई थी मांग

जलियांवाला बाग हत्याकांड को लेकर लॉर्ड्स में चर्चा का दौर भारतीय मूल के सांसदों राज लूंबा और मेघनाद देसाई ने शुरू की थी। इन दोनों ने कहा था कि अप्रैल, 2019 में इस नरसंहार की शताब्दी अपनी गलतियों को सुधारने और औपचारिक माफी मांगने का सही समय है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे को माफी मांगने के लिए पत्र लिखने वाले लूंबा और देसाई जलियांवाला बाग शताब्दी सालगिरह समिति के सदस्य हैं।

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