मुस्लिम कैदी को चैंबर तक लाने के लिए इमाम नहीं मिला तो फांसी पर लगी रोक

अमेरिका के अलबामा में मौत की सजा पाने वाले मुस्लिम कैदी की सजा पर अंतिम समय में रोक लगा दी गई। इसका कारण यह था कि कैदी को जेल से चैंबर तक ले जाने के लिए प्रशासन इमाम की व्यवस्था नहीं कर पाया था। इसे लेकर अटलांटा की अदालत ने 42 वर्षीय डोमिनिक रे की मौत की सजा पर बुधवार को रोक लगा दी।

डोमिनिक रे को वर्ष 1995 में 15 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के लिए गुरुवार को सजा दी जानी थी।

रे ने जेल में रहने के दौरान धर्म परिवर्तन किया था। कोर्ट की तरफ से कहा गया, ‘प्रशासन ने उसे मौत के चैंबर तक ले जाने के लिए इमाम की व्यवस्था कराने से इनकार कर दिया, जो उसके अधिकारों का हनन है।

संवैधानिक समस्या यह है कि राज्य ने नियमित रूप से ईसाई कैदियों की जरूरतों का प्रबंध करने के लिए सजा देने वाले कमरे में एक ईसाई पादरी की व्यवस्था की है।

अमेरिकी संविधान का प्रथम संशोधन अधिकारियों को एक धर्म के ऊपर दूसरे धर्म को वरीयता देने से रोकता है और धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है।

सजा की तारीख करीब आने पर जेल में धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बने रे ने चैंबर तक ले जाने के लिए इमाम की व्यवस्था करने के अपने अधिकार की मांग की। इस मांग को पूरा नहीं किए जाने पर रे के वकील ने अदालत में याचिका दायर की और सजा पर रोक हासिल कर ली।

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