
बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पहली बार सार्वजनिक रूप से अपनी चुप्पी तोड़ी है। यूरोप की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के साथ एक लंबी बातचीत की, जिसमें चुनावी प्रक्रिया को ‘पूरी तरह फिक्स’ करार दिया। शनिवार को जारी इस वीडियो ने राज्य की राजनीति में नई हलचल मचा दी है।
महागठबंधन की हार पर उठाए गंभीर सवाल
करीब 45 मिनट की इस चर्चा में तेजस्वी ने कहा कि बिहार की जनता ने बदलाव के लिए मन बना लिया था, लेकिन नतीजे इसके ठीक विपरीत आए। उन्होंने दावा किया कि महागठबंधन का वोट प्रतिशत बढ़ा था, फिर भी सीटें 75 से घटकर महज 25 पर सिमट गईं। तेजस्वी के शब्दों में, ‘यह जनता की नहीं, बल्कि सिस्टम की जीत है।’ उन्होंने पूरे देश में लोकतंत्र की स्थिति पर बहस छेड़ने की अपील की।
EVM की विश्वसनीयता पर लगाया बड़ा आरोप
तेजस्वी ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर फिर से उंगली उठाई और कहा कि पोस्टल बैलेट में महागठबंधन 143 सीटों पर आगे था, लेकिन EVM के आंकड़े पूरी तरह अलग निकले। उनके अनुसार, ‘EVM में कुछ अदृश्य ताकतें काम कर रही थीं, जो सत्ता में बदलाव नहीं होने देना चाहतीं।’ यह आरोप चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
40 हजार करोड़ की ‘रिश्वत’ का दावा
चर्चा के दौरान तेजस्वी ने चुनाव से ठीक पहले 40 हजार करोड़ रुपये बांटने का आरोप लगाया, जिसे उन्होंने ‘रिश्वत’ की संज्ञा दी। उनका कहना था कि भाजपा ने हर तरह के हथकंडे अपनाए, जिसमें पेंशन बढ़ोतरी और महिलाओं से जुड़ी योजनाएं शामिल थीं, जो मूल रूप से महागठबंधन की नीतियां थीं। उन्होंने संसाधनों के गलत इस्तेमाल पर जोर दिया।
चुनाव आयोग को बताया ‘बेइमान’
तेजस्वी ने चुनाव आयोग की पारदर्शन पर भी हमला बोला और पूछा कि सीसीटीवी फुटेज को सिर्फ 45 दिनों तक ही क्यों रखा जाता है? उनके मुताबिक, अगर सब कुछ साफ-सुथरा है तो फुटेज को कम से कम एक साल तक सुरक्षित क्यों नहीं रखा जाता? यह बयान विपक्षी दलों को एकजुट करने का काम कर सकता है।
तेजस्वी के इन बयानों ने बिहार की सियासत को गर्मा दिया है। जहां एक तरफ विपक्ष इसे लोकतंत्र पर हमले के रूप में देख रहा है, वहीं सत्ता पक्ष ने इन्हें बेबुनियाद और राजनीतिक स्टंट बताया है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है।