उत्तराखंड का युवा मजबूती से धामी सरकार के साथ खड़ा

देहरादून : उत्तराखंड के युवा परिदृश्य में इस हफ्ते दो घटनाएं देखने को मिलीं। पहली- तथाकथित पेपर लीक को लेकर युवाओं को दिग्भ्रमित करके विपक्षी दलों ने एक आंदोलन खड़ा करने की कोशिश की। उनकी रणनीति इतनी बारीकी से बुनी गई थी कि एक झटके में लगा कि वे कामयाब हो जाएंगे। कुछ हद तक वे कामयाब हुए भी। आखिर बड़ी संख्या में युवाओं को इकट्ठा करने में वे कामयाब हुए ही। लेकिन जैसे-जैसे नकल से जुड़े तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि नकल की घटना वास्तव में एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी। किसी एक व्यक्ति को नकल करवा कर पास करवाना उनका मकसद नहीं था, बल्कि उसकी आड़ में प्रदेश की राजनीतिक स्थिरता को भंग करना था। और पिछले तीन-चार साल से सुचारु रूप से चल रही परीक्षा प्रणाली को डीरेल करना था।

दूसरी घटना है, उत्तराखंड के डिग्री कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सम्पन्न छात्र-संघ चुनावों में आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का भारी बहुमत से चुनाव जीतना। कुमाऊँ और गढ़वाल के दो सबसे बड़े महाविद्यालयों- एमबी पीजी कॉलेज, हल्द्वानी और डीएवी कॉलेज, देहारादून में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विजय के झंडे गाड़े। परिषद की इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि इस देश के युवा बांग्लादेश, नेपाल या श्रीलंका की तरह दिशाहीन नहीं हैं। न ही वे विदेशी शक्तियों के भड़कावे में आते हैं।

E-Paper