
मंगलवार को देश के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए चंद्रपुरम पोनुस्वामी राधाकृष्णन आरएसएस और भाजपा की मजबूत जड़ों से जुड़े रहे हैं। वे अपने साथ एक समृद्ध राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव लेकर आए हैं, जो उन्हें राज्यसभा सभापति के रूप में उनके कार्य में सहायक सिद्ध होगा।
वह दक्षिण भारत से उपराष्ट्रपति बनने वाले पहले ओबीसी नेता हैं। 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में जन्मे राधाकृष्णन के पास बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की डिग्री है।
67 वर्षीय राधाकृष्णन की छवि एक सौम्य और गैर-विवादित नेता की रही है। वे तमिलनाडु से इस प्रतिष्ठित पद पर काबिज होने वाले तीसरे नेता हैं। वे इससे पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल थे और उन्हें भाजपा नेतृत्व वाले राजग ने अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था।
झारखंड, तेलंगाना, महाराष्ट्र और पुडुचेरी में भी गवर्नर रह चुके हैं
वे झारखंड, तेलंगाना, महाराष्ट्र और पुडुचेरी में भी गवर्नर रह चुके हैं। राधाकृष्णन कोयंबटूर से लोकसभा के दो बार सदस्य रहे हैं। वे अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए केंद्रीय मंत्री बनने के करीब भी पहुंचे थे।
राधाकृष्णन ने किशोरावस्था में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होकर संगठन में और बाद में भाजपा में अपनी स्थिति को मजबूत किया। उन्होंने छात्र राजनीति में भाग लिया और तब से राजनीति को लोगों की सेवा का माध्यम बनाया।
भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में इतिहास रचने के लिए तैयार
राधाकृष्णन का चुनावी, संगठनात्मक और संवैधानिक जिम्मेदारियों का ट्रैक रिकार्ड यह दर्शाता है कि वे भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में इतिहास रचने के लिए तैयार हैं। वे सामाजिक रूप से प्रमुख और आर्थिक रूप से समृद्ध कोंगु वेल्लालर गाउंडर समुदाय के सदस्य हैं।
1996 में वे भाजपा की तमिलनाडु इकाई के सचिव बने और 2003 से 2006 तक पार्टी के राज्य इकाई के अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने 19,000 किलोमीटर की ‘रथ यात्रा’ का भी आयोजन किया, जोकि 93 दिनों तक चली थी।
राधाकृष्णन खेल प्रेमी भी हैं
राधाकृष्णन खेल प्रेमी भी हैं। वह कॉलेज में टेबल टेनिस के चैंपियन रहे हैं और साथ ही लंबी दूरी के धावक भी। उन्हें क्रिकेट और वालीबाल का भी शौक है।