Operation Sindoor में मारे गए आतंकियों के जनाजे में शामिल हुए थे पाक आर्मी के पांच अधिकारी
पहलगाम हमले के बाद ठीक 15वें दिन भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर कई बड़े आतंकियों को मार गिराया था। भारत की इस सर्जिकल स्ट्राइक में नौ आतंकी अड्डे निशाने पर थे, जिन पर स्टीक निशाना लगा। इसमें मसूद अजहर का भाई भी मारा गया था।
मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में पाकिस्तानी सेना के कई शीर्ष अधिकारी भी शामिल हुए थे, जिसे पाक नकारता रहा। हालांकि, अब भारतीय सेना ने उन अधिकारियों के तस्वीरों सहित नाम जारी किए हैं।
Operation Sindoor में आतंकी अड्डे हुए थे तबाह
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के मरकज तैयबा, बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के मरकज सुभान अल्लाह और सियालकोट में हिजबुल मुजाहिदीन के महमूना जोया फैसिलिटी समेत नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था।
रविवार को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने कहा कि मुरीदके में मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार का नेतृत्व लश्कर कमांडर अब्दुल रऊफ ने किया था, जिसे अमेरिका ने वैश्विक आतंकवादी घोषित किया है।
आतंकियों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए पाक अधिकारी पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों के बीच सांठगांठ को उजागर करते हुए अधिकारियों ने एक तस्वीर भी जारी की, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज हुसैन शाह, मेजर जनरल राव इमरान सरताज और ब्रिगेडियर मोहम्मद फुरकान शब्बीर अंतिम संस्कार में शामिल होते हुए दिखाई दिए।
ये पाक सैन्य अधिकारी हुए शामिल तस्वीर में एक वरिष्ठ पाकिस्तानी पुलिस अधिकारी उस्मान अनवर और एक राजनेता मलिक सोहैब अहमद को नमाज अदा करते हुए भी दिखाया गया।
लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज हुसैन शाह मेजर जनरल राव इमरान सरताज ब्रिगेडियर मोहम्मद फुरकान शब्बीर डॉ. उस्मान अनवर मलिक सोहैब अहमद भेरथ
अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया, जिसमें आतंकवादियों के ताबूतों को पाकिस्तानी झंडे में लपेटा गया।
जैश के कई ठिकाने हुए तबाह बता दें कि सात व आठ मई की रात में आपरेशन सिंदूर की शुरुआत के साथ ही यह सुनिश्चित किया गया था कि बहावलपुर स्थित मरकज सुभानअल्लाह, मुरीदके स्थित मरकज तैयबा और मुजफ्फराबाद स्थित मरकज सैयदना बिलाल को सबसे ज्यादा नुकसान हो। वजह यह है कि पिछले दो दशकों में भारत पर सीमा पार से पोषित जितने भी आतंकियों ने हमला किया किया है, उन सभी के तार किसी न किसी तौर पर उक्त तीनों ठिकानों से जुड़े हुए हैं।
तीनों ठिकानों की शुरुआत अफगानिस्तान में सोवियत संघ की सेना के खिलाफ युद्ध करने वाले कट्टरपंथियों के जरिये पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने करवाई थी। इन्हें स्थानीय पुलिस व पाक सेना कुछ उसी तरह से मदद दे रही थी जैसे कई वर्षों तक एबटाबाद में ओसामा को पोषित किया गया था।
सरकारी सूत्रों ने रविवार को आपरेशन सिंदूर के तहत चयनित स्थलों के बारे में विस्तार से बताया। यह भी बताया गया कि हमले में जिस तरह से उक्त तीनों ठिकानों को तबाह किया गया है, उससे आतंकवाद को संरक्षित, पोषित करने वाला पूरा तंत्र दहशत में है।
असल में अफगानिस्तानी जिहाद का संस्थापक अबदुल्लाह आजम भी बहावलपुर स्थित जैश अड्डे के संस्थापकों में से एक रहा है। मुजफ्फराबाद स्थित मरकज सैयदना बिलाल भी जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख केंद्र है और इसको भी आपरेशन सिंदूर ने एक तरह से धवस्त कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक जैश के उक्त ठिकानों पर पहले ही हमला कर देना चाहिए था।
भारत ने जैश के दोनों ठिकानों पर हमला करने के लिए सबसे घातक हथियारों का इस्तेमाल किया और वह भी सोच समझ कर संदेश देने के लिए।