हाई कोर्ट ने दी शिअद को पोल खोल रैली की इजाजत
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की 16 सितंबर को फरीदकोट में प्रस्तावित पोल खोल रैली को अनुमति दे दी है। इस बीच, पंजाब सरकार ने भी हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने की तैयारी कर ली है। एडवोकेट जनरल अतुल नंदा कुछ देर में हाई कोर्ट में पुनिर्विचार याचिका दायर कर सकते हैं। बता दे, गत दिवस जिला प्रशासन ने अकाली दल को रैली की अनुमति नहीं दी थी, जिसके बाद पार्टी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने आज अकाली दल को रैली की इजाजत दे दी है।
अकाली दल की याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन ने पंजाब सरकार को किसी भी अप्रिय घटना की रोकथाम के लिए उचित पुलिस व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। सुनवाई में पार्टी की तरफ से वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल ने अदालत को बताया कि अनुमति से इन्कार करना संविधान द्वारा दिए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
बता दें, शिअद के उपप्रधान डॉ. दलजीत सिंह चीमा गत दिवस पूर्व एडवोकेट जनरल अशोक अग्रवाल के साथ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पहुंचे थे। उन्होंने प्रशासन के आदेश खारिज करने की मांग की थी। जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल व जस्टिस अजय कुमार मित्तल की खंडपीठ ने मामला चीफ जस्टिस के पास भेज दिया था। मामले में आज सुनवाई हुई। इस दौरान पार्टी को रैली की अनुमति दे दी गई। उधर, रैली स्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। आसपास के जिलों से भी पुलिस फोर्स मंगवा ली गई है।
पहले कोटकपूरा में होनी थी
पहले यह रैली 15 सितंबर को फरीदकोट के कोटकपूरा में होनी थी, लेकिन वहां पर सिख संगठनों के विरोध की आशंका के चलते इसे फरीदकोट शिफ्ट दिया गया था। वीरवार को शिअद ने पंडाल लगाने का काम भी शुरू कर दिया था।
प्रशासन ने इसलिए नहीं दी थी इजाजत
श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं, बरगाड़ी और कोटकपूरा में हुए गोली कांड को लेकर फरीदकोट से 30 किलोमीटर की दूरी पर बरगाड़ी में गर्म दलीय नेता पिछले चार महीने से धरने पर बैठे हैं। वे लगातार इस बात की मांग कर रहे हैं कि बेअदबी की इन घटनाओं को लेकर पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल और पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी के खिलाफ केस दर्ज किए जाएं
बेअदबी मामले पर जस्टिस रणजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश होने के बाद शिअद ने राज्य भर में पोल खोल रैलियां करने का एलान किया था। सिख संगठन हर जगह अकाली दल के नेताओं के जाने पर विरोध कर रहे हैं। सुखबीर बादल से लेकर परमिंदर सिंह ढींढसा तक इस विरोध का शिकार हो चुके हैं। सरकार को लग रहा है कि यदि दोनों ओर के नेता एक दूसरे के आमने-सामने हो गए, तो हालात बिगड़ सकते हैं। इसकी सारी जिम्मेदारी मौजूदा सरकार पर आ जाएगी। एेसे में प्रशासन ने रैली की अनुमति नहीं दी थी।